चिरायु की एक महिला चिकित्सक ने मुनगा और पपीता के सहारे पिथौरा विकासखंड के 4 सेक्टरों में कुपोषण एवं एनीमिया से पीडि़त स्कूली बच्चों को सामान्य करने में अद्भुत सफलता प्राप्त की ह
महासमुंद. चिरायु की एक महिला चिकित्सक ने मुनगा और पपीता के सहारे पिथौरा विकासखंड के 4 सेक्टरों में कुपोषण एवं एनीमिया से पीडि़त स्कूली बच्चों को सामान्य करने में अद्भुत सफलता प्राप्त की है। वह हैं, डॉ. सुष्मिता खनूजा। 2015 में ग्रामीण स्कूलों एवं आंगनबाड़ी केंद्रों में जहां 3 में से एक छात्र कुपोषित या एनीमिक निकलता था, अब उन्हीं स्कूलों में इन बीमारी से पीडि़त बच्चे नगण्य हैं। अब उनके चारो सेक्टरों में उक्त बीमारियों से पीडि़त बच्चों की संख्या शून्य करने के भी प्रयास किए जा रहे हैं।
कुपोषण एवं एनीमिया को लेकर सरकार भी चिंतित है, जिसे दूर करने शासन स्तर पर प्रयास किये जा रहे हैं। इसके लिए विटामिन की दवाएं भी स्कूलों में वितरित की जाती हैं। परंतु पिथौरा की डॉ. सुष्मिता खनूजा ने प्राकृतिक रूप से इस बीमारी पर नियंत्रण करने की ठानी और पिथौरा चिरायु टीम प्रभारी बनते ही उन्होंने ग्रामीण स्कूलों एवं आंगनबाड़ी के बच्चों को चेकअप के दौरान अत्यधिक कुपोषित एवं एनीमिक बच्चों को देखकर दवा के अलावा ग्रामीणों को प्रकृति के प्रति जागृत करने का मन बनाया।
बच्चों को उनके स्कूल में एक जगह एकत्र कर उन्हें अपने माता-पिता को बोल कर मुनगा एवं पपीता के पौधे लगाने के लिए प्रोत्साहित किया। इसके अलावा ग्रामीणों को भी स्कूल में बुलाकर बच्चों को विभिन्न रोगों से बचाने के घरेलू उपायों की जानकारी लगातर देती रहीं, जिसे पालकों ने सुना भी और अमल में भी लाया। डॉ. सुष्मिता बताती हैं कि बच्चों में कुपोषण एवं रक्ताल्पता दूर के मुनगा लगाने का मंत्र उन्हें कलक्टर उमेश कुमार अग्रवाल ने दिया था।
गुणकारी है मुनगा और पपीता
आयुर्वेद में पपीते को बहुत ही गुणकारी माना गया है। डॉ. सुष्मिता ने बताया कि पतीता खाने से रोग प्रतिरोधक शक्ति बढ़ती है। विटामिन ए और सी इसमें प्रचुर मात्रा में होने के कारण पाचन तंत्र को मजबूत करता है। माहवारी अनियमितता ठीक करता है, शारीरिक विकास के साथ कैंसर जैसे गंभीर बीमारियों से हमारी रक्षा करता है। मुनगा की पत्तियों विटामिन ए भरपूर मात्रा में होता है। आयरन, कैल्शियम और कई विटामिन होते हैं। सब्जी बनाकर खाने से ये एंटीबायोटिक का काम करता है।