जम्मू कश्मीर के बुद्धिजीवियों ने भारत -पाकिस्तान के सम्बन्धों में मेलजोल बढ़ाने की वकालत की
Published: Nov 28, 2015 09:16:00 pm
जम्मू कश्मीर के बुद्धिजीवियों ने भारत -पाकिस्तान के सम्बन्धों में सुधार
के लिए शांति प्रक्रिया को संस्थागत बनाने तथा दोनों मुल्कों की जनता के
बीच मेलजोल बढाने का मौका दिये जाने की जरूरत बतायी ।
जम्मू कश्मीर के बुद्धिजीवियों ने भारत -पाकिस्तान के सम्बन्धों में सुधार के लिए शांति प्रक्रिया को संस्थागत बनाने तथा दोनों मुल्कों की जनता के बीच मेलजोल बढाने का मौका दिये जाने की जरूरत बतायी ।
इसके लिए सुचेतगढ सीमा को खोलने की पुरजोर वकालत की गयी । जे के फोरम फार पीस ऐंड रिकन्सिलिएशन की ओर से आज यहां दक्षिण एशिया में शांति के लिए भारत -पाकिस्तान के बीच अच्छे सम्बन्धों की अहम भूमिका विषय पर आयोजित संवाद में पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने जम्मू कश्मीर के नागिरक समाज से दोनों देशों के बीच प्रधानमंत्रियों की बातचीत से पहले छोटे -मोटे अवरोधों को दूर करके जमीन तैयार करने को कहा ।
दोनों देशों की जनता के बीच मेलमिलाप को अहम बताते हुए नेकां अध्यक्ष ने इसके लिए एक मंच तैयार करने को कहा । कश्मीर टाइम्स अखबार की संपादक अनुराधा भसीन ने अपने मुख्य भाषण में कहा कि दक्षिण एशिया में स्थायी शांति के लिए भारत -पाकिस्तान के सम्बन्धों में सुधार अहम है ।
उन्होंने दोनों देशों के बीच सभी विवादित मुद्दों के हल के लिए बिना शर्त समग्र वार्ता की जरूरत पर बल दिया ।इसके लिए कश्मीर के भी सभी पक्षकारों से भी बात करनी होगी । सुश्री भसीन ने कहा कि दोनों देशों की जनता को मुख्य पक्षकार बनाकर समस्या का हल खोजना होगा।
उन्होने पीओके पर डा अब्दुल्ला के बयान का विश्लेषण किये जाने की जरूरत बतायी कई बार पाकिस्तान की यात्रा करने वाले पंजाबी लेखक एवं पूर्व उपायुक्त खालिद हुसैन ने कहा कि दोनों देशों की जनता के बीच बेइंतहा मोहब्बत है । इसे मौका दिया जाना चाहिए । कश्मीर को लेकर नफरत के बयान बंद होने चाहिए । पूर्व नौकरशाह असलम कुरैशी का कहना था कि दोनों देशों के सम्बन्धों पर साझा एजेंडे पर राजनीतिक दलों के बीच सहमति होनी चाहिए ताकि सरकार बदलने से नीतियां न बदलें ।
उन्होने सुचेतगढ सीमा को खोलने की भी मांग की ।
उन्होंने पीओके पर डा अब्दुल्ला के बयान को देरआयद दुरूस्त आयद बताते हुए उनसे इस फार्मूले पर केंद्र से बात करने की गुजारिश की । जम्मू विश्वविद्यालय की प्रोफेसर रेखा चौधरी का कहना था कि कश्मीर मसले के हल के लिए कई फार्मूले बने लेकिन राज्य के हितों के लिए जनता के हितों को नजरअंदाज किया गया ।
उन्होने कहा कि वर्ष 2002 से 2007 के बीच आपसी विश्वास बहाली के उपाय से रियासत की जनता को राहत मिली थी । उसे आगे बढाया जाना चाहिए । भाजपा नेता इंजीनियर गुलाम अली ने कहा कि सीमा विवाद को सुलझाये बगैर भारत -पाकिस्तान की समस्या दूर नहीं होगी ।