scriptहमेशा अच्छा नहीं होता है अधिग्रहण | Acquisition is not good for always | Patrika News

हमेशा अच्छा नहीं होता है अधिग्रहण

Published: May 27, 2015 11:23:00 am

हाल ही में स्थापित कंपनी को अच्छी कीमत पर बेचना कभी अच्छा सौदा होगा तो कभी
खराब

takeover

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अपनी नई-नई स्थापित कंपनी को किसी बड़े औद्योगिक दिग्गज के हाथों अच्छे दामों में बेचकर एंटरप्रेन्योर्स अक्सर खुशी महसूस करते हैं लेकिन इसी स्थिति में कई एंटरप्रेन्योर्स इस प्रक्रिया के दुखद पहलुओं से भी दो चार होते हैं। एगाइलजेन नामक कंपनी को रैली सॉफ्टवेयर के हाथों बेचने वाले नेट कोहारी इस अनुभव से जुड़ी कई पोस्ट्स लिख रहे हैं और उन्हें लोगों के साथ साझा कर रहे हैं।

अलग-थलग पड़ना
अधिग्रहण करने वाली कंपनी में बतौर वर्कफोर्स भी जुड़े रहने के दौरान एक खराब अनुभव यह हो सकता है कि आपकी रणनीतियां इस नई कंपनी की रणनीतियों से मेल ही न खाएं। ऎसे में अक्सर यह अनुभव होता है कि जिस कंपनी के विकास के लिए हम अपनी ओर से नीतियां दे रहे हैं, वहां तो दरअसल हमारी जरूरत है ही नहीं।

चला गया आधार
आपकी नई-नवेली कंपनी में किसी बड़ी और पुरानी कंपनी की रूचि जाग जाने पर आपको गर्व तो महसूस हो सकता है कि हमारी छोटी सी कंपनी में वो बात है जो किसी बड़े औद्योगिक दिग्गज को लुभा सकती है। लेकिन इसे बेच देने के बाद आपको ऎसा भी महसूस होना लाजिमी है कि कई वर्ष से सपनों की जिस इमारत को खड़ा करने के लिए मेहनत कर रहे थे, आज उसका आधार ही नीचे से निकलकर चला गया।

अनुभव तो मिला
कड़ी मेहनत से तैयार किए गए सॉफ्टवेयर प्रोजेक्ट को बड़ी कंपनी के हाथों बेचकर कभी खुशी तो कभी गम का अहसास करने वाले कोहारी बेशक अधिग्रहण के कुछ दुखद या स्याह पहलुओं पर चर्चा कर रहे हैं लेकिन वह यह जरूर मानते हैं कि उन्हें यह कंपनी बेचकर कुछ ऎसे अनुभव मिले हैं, जो इससे इतर शायद मिल नहीं पाते। अब वह टास्क टॉर्च के सह संस्थापक हैं और इस पर अपना पूरा ध्यान लगा रहे हैं।
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