हर नई पीढ़ी के अपने अलग तनाव होते हैं। टेक्नोलॉजी से लेकर आगे बढऩे तक की चाह युवाओं पर भारी पड़ रही है।
जयपुर। हम में से कई लोग ऑफिस से थके-हारे घर पहुंचते हैं, जूते उतारते हैं और सीधे टीवी के सामने बैठ जाते हैं। इसके बाद टीवी पर अपना पसंदीदा शो देखते हैं। हमें पता है कि यह जिंदगी जीने का सही तरीका नहीं है, पर इसमें बदलाव करने की हिम्मत नहीं जुटा पाते। यूनिवर्सिर्टी ऑफ टोलेडो में हुए एक अध्ययन के मुताबिक लगातार टीवी देखने से आपकी मेंटल हेल्थ पर नेगेटिव असर पड़ता है। इससे अवसाद और बेचैनी बढ़ती है। नई पीढ़ी के लोगों में तनाव बढऩे के मुख्य कारणों में लगातार टीवी देखना शामिल है। अगर थोड़ी सावधानी रखें तो इस तनाव को दूर किया जा सकता है। टीवी देखने की लत पर काबू पाने के लिए जरूरी है कि आप लोगों से मिलते रहें।
सोशल मीडिया
इसमें कोई आश्चर्य नहीं है कि हेल्थ एक्सपर्ट सोशल मीडिया को तनाव का मुख्य कारण मानते हैं। आज के दौर में सोशल मीडिया हमारे जीवन को नियंत्रित करता है। अब यदि युवा आउङ्क्षटग पर जाते हैं, तो वे घूमने का मजा लेने के बजाय परफेक्ट फोटो की तलाश में रहते हैं ताकि उसे ऑनलाइन अपलोड कर सकें और हर किसी को बता सकें कि वे क्या कर रहे हैं। यह सब तनाव का कारण बनता जा रहा है। इसके बाद लाइक्स और कमेंट्स का दौर शुरू हो जाता है और अन्य मित्रों की पोस्ट के साथ तुलना शुरू हो जाती है। अपडेट करने के पीछे दीवाने युवा एक अलग तरह के तनाव को पाल रहे हैं, जो बड़ी समस्या बन सकता है। इस पर काबू पाने के लिए जरूरी है कि हम सोशल मीडिया पर लगातार बने रहने की अपनी आदत को बदलें। सोशल मीडिया का एक समय तय कर लेना चाहिए। सिर्फ उस समय चैटिंग और अपडेट्स करने चाहिए। इसके बाद फेसबुक और ट्विटर से पूरे दिन दूर ही रहना चाहिए।
डिजिटल निर्भरता
आजकल हर व्यक्ति हमेशा ऑनलाइन कनेक्टेड रहता है। लोगों के लिए फ्री वाई-फाई से ज्यादा अच्छा शब्द कोई नहीं है। ऐसी स्थिति में कम बैटरी, डेड मोबाइल फोन या गैजेट्स के कारण दिमाग खराब हो जाता है। स्मार्टफोन ने पर्सनल और प्रोफेशनल जीवन के अंतर को खत्म कर दिया है। अब हर व्यक्ति ग्रुप्स में सक्रिय रहना चाहता है और लोगों के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानने को उत्सुक है। ऐसे में उसे तनाव हो रहा है। इंटरनेट पर जरूरत से ज्यादा निर्भरता से डिजिटल एमनेसिया हो रहा है और मेमोरी कम हो रही है। जरूरत से ज्यादा इंटरनेट इस्तेमाल करने वाले युवाओं की सोचने-समझने की क्षमता पर काफी नकारात्मक असर देखने को मिल रहा है।
फिटनेस और एक्टिविटी ट्रैकर
आजकल बाजार में एक्टिविटी ट्रैकर और फिटनेस गैजेट्स की बाढ़ सी आ गई है। इनसे आप हर चीज ट्रैक कर सकते हैं, फिर चाहे वो आपके द्वारा तय किए गए कदम हों, हार्टबीट हो या रात की नींद के बारे में जानकारी। फिटनेस पसंद करने वाले युवाओं के लिए ये काफी उपयोगी भी साबित हो रहे हैं, पर जरूरत से ज्यादा जानकारी जानकारी कभी-कभी फायदेमंद साबित होने के बजाय तनाव का कारण बन जाती है। ब्रांडेड ट्रैकर्स और पेड एप्स सटीक होते हैं और वे आपको फिटनेस लक्ष्यों तक पहुंचने में मदद करते हैं, पर लोग इनके बारे में ट्रेनर से न तो सलाह लेते हैं और न ही पूरी जानकारी जुटाते हैं। ऐसे में कैलोरी बर्न, हार्ट रेट और नींद के आंकड़ों की विसंगति उन्हें तनाव में डाल देती है। उन्हें लगता है कि उन्हें सेहत से जुड़ी किसी तरह की समस्या है या वे कुछ गलत कर रहे हैं। बीमारी की शंका होने पर आपको डॉक्टर को दिखाना चाहिए। अपने लक्षणों को किसी वेबसाइट पर देखने से बचना चाहिए। इससे तनाव बढ़ता है।
ईकोलॉजी अलार्म
पूरी दुनिया में तेजी से पर्यावरणीय बदलाव हो रहे हैं। इन बदलावों के कारण लोगों के सोचने का अंदाज बदल गया है। अब लोगों से कहा जा रहा है कि वे कार पूलिंग करें, पानी के बजाय सूखी होली खेलें, बिजली बचाएं आदि। इस सबके कारण लोगों को तनाव हो रहा है। लोग समझ नहीं पा रहे हैं कि पानी, बिजली, हरियाली की समस्या से कैसे निपटा जाए। आज हर व्यक्ति को ज्यादा संसाधन चाहिए, पर बचत के बारे में वह विचार नहीं कर रहा है, जबकि संसाधनों की बचत से ही भविष्य बेहतर बन सकता है। सबको ईकोलॉजी अलार्म को समझना चाहिए।
ऑनलाइन व्यवहार
आजकल ज्यादातर लोग ऑनलाइन शॉपिंग, स्टॉक ट्रेडिंग, गेमिंग आदि में शामिल हो रहे हैं। साथ ही वित्तीय और नौकरी संबंधी समस्याओं में भी इजाफा हो रहा है। लोगों को ऑनलाइन ऑफर्स के चक्कर में फंसकर ज्यादा खरीदारी से बचना चाहिए। इससे पैसे का नुकसान होता है और ज्यादा फायदा नहीं होता। आपको अपनी जरूरत के हिसाब से ही ऑनलाइन खरीदारी करनी चाहिए। ऑनलाइन शॉपिंग का चस्का अच्छा नहीं है।
वैकेशन प्लानिंग
आजकल वैकेशन की प्लानिंग काफी मुश्किल हो गई है। ऐसे में लोग समय बचाने के लिए इंटरनेट पर होटल रिव्यू, फ्लाइट्स पर बेस्ट डील्स और एक्सपर्ट व्यू पता करते रहते हैं। हालांकि इससे सफर आसान होने का दावा किया जाता है, पर पूरी प्रक्रिया में तनाव होता है। ज्यादातर टूरिस्ट प्वॉइंट्स पर भीड़ है। आप वहां जाएंगे, पर माहौल के कारण एन्जॉय नहीं कर पाएंगे। आपको अपने लिए नई जगह खोजनी पड़ती है।