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नई जिम्मेदारियों से घबराएं बिना बढ़ाएं अपना बिजनेस

Published: Apr 23, 2015 10:36:00 am

बिजनेस में बदलावों के खिलाफ
खड़े रहकर आप इसके लिए तरक्की के रास्तों को बंद कर देते हैं

shaking hand

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जिंदगी बदलाव का ही नाम है। यहां जब हर एक दिन भी एक सा नहीं होता तो फिर आप स्थितियों के हमेशा एक जैसा रहने की कल्पना भी कैसे कर सकते हैं? यही हाल बिजनेस का भी है। अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में अगर आप हमेशा बदलावों के विरोध में खड़े रहते हैं, तो आपका यह रवैया बिजनेस में भी नजर आने लगता है। बिजनेस में बदलावों के खिलाफ खड़े रहकर आप इसके लिए तरक्की के रास्तों को बंद कर देते हैं। इस तरह की खराब अप्रोच से बचें और समय के अनुरूप बहते हुए निर्णय लेने की आदत डालें।

नहीं बढ़ानी है जिम्मेदारी

बहुत से एंटरप्रेन्योर्स अपने बिजनेस मे तमाम संभावनाएं होने के बावजूद उसे कभी भी विस्तार नहीं देते। यहां उनका मानना होता है कि बिजनेस को अगर ज्यादा विस्तार दिया गया तो इससे काम और जिम्मेदारी दोनों ही बढ़ जाएंगी। इससे काम की गुणवत्ता भी प्रभावित होगी। इस सोच के पीछे की मूल वजह यह है कि वे सोचते हैं कि पूरी कंपनी सिर्फ और सिर्फ एक उनके ही दम पर टिकी है। जिम्मेदारी को औरो के साथ न बांटने वाले और सारा कंट्रोल सिर्फ अपने पास रखने वाले एंटरप्रेन्योर्स के साथ यह स्थिति ज्यादा आती है।

कैसे चलेगा काम
बिजनेस के विस्तार के साथ-साथ एंटरप्रेन्योर्स जिस बदलाव के खिलाफ रहते हैं, वह है किसी नई व्यवस्था को अपनाना। इसके पीछे काम करता है “फियर ऑफ अननोन” यानी अज्ञात का भय। वे इस डर से डरे रहते हैं कि न जाने उनके एंप्लॉइज और ऑफिस का वर्क कल्चर इस नई व्यवस्था के अनुरूप ढल भी पाएंगे या नहीं? कहीं काम बंद ही न हो जाए।

नहीं चाहिए कोई और
किसी भी युवा को अपने बिजनेस की बागडोर सौंपने से बचने वाले एंटरप्रेन्योर्स को डर रहता है कि कहीं बिजनेस से पूरा ही नियंत्रण खत्म न हो जाए या कहीं मेहनत से खड़ा किया गया बिजनेस कोई कल का लड़का मिट्टी में न मिला दे। एक तय उम्र में अपनी जिम्मेदारियां कम करने के लिए जरूरी है कि समय रहते अपनी कंपनी के लिए काबिल नेतृत्व तैयार करें।

क्या है बदलाव
किसी भी बदलाव का डर अपने अंदर से खत्म करने का सबसे महत्वपूर्ण कदम यह है कि आप उस बदलाव को करीब से समझें। यह समझें कि वह बदलाव है क्या? उसके क्या-क्या पहलू हैं? बदलाव किस-किस क्षेत्र में होगा, कौन से पुराने विभाग खत्म होंगे और कौन से विभाग नए बनेंगे? इसके लिए मौजूदा व्यवस्थाओं की कार्यप्रणाली या स्वरूप किस-किस तरह से बदले जाएंगे।

क्या हैं संभावित असर
जब आप होने वाले बदलावों के हर पहलू को समझ लेंगे, तब आपको यह भी समझ आने लगेगा कि किस बदलाव से क्या अच्छा और क्या बुरा असर हो सकता है? अब चूंकि आप बदलाव का अच्छा असर ही चाहते हैं, इसलिए आपको खुद को अच्छे और बुरे दोनों तरह के असर के लिए तैयार करना होगा। पहले से बुरे असर की संभावना का पता होगा, तो आप तैयार रहेंगे और इससे बुरा असर ज्यादा नुकसानदेह नहीं साबित होगा।
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