लस्ट जीवन का आनंद लेने की असीमित इच्छा है और लालच असीमित पाने की इच्छा। उन्हें कोई भी रकम संतुष्ट नहीं कर सकती। यहां यह भी कहना चाहूंगा कि पिछले दो दशकों में जीवन का स्तर काफी बढ़ा है, इसलिए लग्जरी कार, बड़े घर और महंगी विदेशी यात्राएं आम हो गई हैं। सामान्य कमाने वालों के मन में भी इससे महत्वाकांक्षाएं जग गई हैं, जिन्हें वे अपनी आय में पूरी नहीं कर सकते। वे तुरंत पैसा कमाने और अपनी इच्छाएं पूरी करने के आसान रास्ते ढूंढ़ते हैं। वे बरसों लॉटरी के टिकट खरीदते रहते हैं और नहीं जीत पाने पर भी उन्हें खरीदने पर लगाई छोटी रकम व्यर्थ करने का मलाल नहीं होता, क्योंकि इस छोटी रकम से उनके सपने पूरे नहीं होते।
एक शोध से यह सामने आया है कि जो लोग बड़ी लॉटरी जीत जाते हैं, वे कुछ सालों बाद या तो दिवालिया हो जाते हैं या फिर नशे का सेवन करने लगते हैं या फिर उनका मानसिक संतुलन गड़बड़ा जाता है, क्योंकि वे जीती हुई रकम का कोई रचनात्मक उपयोग करने की कुशलता अर्जित नहीं कर पाते हैं। इससे स्पष्ट है कि तुरंत जीती रकम से कुछ सुख साधन मिल सक ता है, लेकिन पूरी तरह से संतुष्टि नहीं मिल सकती। बतौर समाज हमें समझने की आवश्यकता है कि सबको सब नहीं मिल सकता, इसलिए हमें खुद को और परिवार के सदस्यों को इस बात के लिए तैयार करना चाहिए कि मन की शांति की कीमत पर तुरंत पैसा कमाने में कोई तुक नहीं है।
(ये लेखक के अपने विचार हैं)
– आनंद मुंशी, मोटिवेशनल स्पीकर और मैनेजमेंट गुरू