scriptमोबाइल फोन: दोस्त या दुश्मन? | Is Mobile Phone a friend or enemy | Patrika News

मोबाइल फोन: दोस्त या दुश्मन?

Published: Oct 20, 2015 07:53:00 pm

यह सच है कि हम सबको व्यक्तिगत और व्यावसायिक कारणों से बाहरी दुनिया से जुड़े रहने के लिए मोबाइल फोन की आवश्यकता है

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यह सच है कि हम सबको व्यक्तिगत और व्यावसायिक कारणों से बाहरी दुनिया से जुड़े रहने के लिए मोबाइल फोन की आवश्यकता है, लेकिन जरूरी कामों को रोक कर अपना और दूसरे का समय खराब करने की कीमत पर नहीं।

कुछ दिनों पहले मैं भारत की प्रमुख आईटी एमएनसी कंपनी, इंफोसिस के कर्मचारियों के लिए आयोजित एक सेमिनार में गया था। लेकिन कर्मचारियों से भरे कमरे में प्रवेश करने से पहले ही हमें सिक्योरिटी गार्ड ने नम्रता से रोक लिया और अपने मोबाइल फोन जमा कराने को कहा, क्योंकि भीतर फोन ले जाने की अनुमति नहीं थी। मैं और मेरा बिजनेस पार्टनर यह देखकर सकते में आ गए और लगा जैसे हमारा जीवन ही खत्म हो गया।

एक मिनट के लिए भी फोन से दूर रहने की कल्पना इतनी भयावह थी। हमने अपने प्यारे फोन से कभी दूर रहने की कल्पना नहीं की थी, जो हमारा इतना अच्छा मनोरंजन करता है और सूचनात्मक उपकरण भी है। हमें लगा, अब हमारी दुनिया कैसे चलेगी। क्या आप भी कुछ ऎसा ही महसूस करते हैं, जब आपसे कोई आपका मोबाइल फोन ले लेता है।

इससे फर्क नहीं पड़ता कि आप कौन हैं, क्या करते हैं और दुनिया के किस हिस्से में रहते हैं। हम सब मोबाइल के साथ रहना पसंद करते हैं, इतना कि सोने से पहले वाट्सएप पर मैसेज चैक करते हैं और उठते ही फिर सबसे पहले मैसेज पढ़ते हैं। यह सच है कि हम सबको व्यक्तिगत और व्यावसायिक कारणों से बाहरी दुनिया से जुड़े रहने के लिए मोबाइल फोन की आवश्यकता है, लेकिन जरूरी कामों को रोक कर अपना और दूसरे का समय खराब करने की कीमत पर नहीं।

यदि यह सच है कि आप इससे खुद का और दूसरों का समय जाया कर रहे हैं, तो आपको “मोबाइल का एडिक्शन” हो गया है, उसकी लत लग गई है। इस लत में चाहे वह शख्स कोई भी हो, अपने मोबाइल फोन से कभी दूर नहीं होना चाहता, मानो उससे वह खुद को सुरक्षित महसूस करता हो।

आपको मोबाइल फोन की कितनी लत है, इसके लिए खुद से ये सवाल पूछें- आप मोबाइल फोन को 24 घंटों में कितने घंटे अपने पास रखते हैं? क्या आप बिना किसी मकसद के हर मिनट अपनी महत्वपूर्ण गतिविधियों को रोक कर पढ़े हुए मैसेज को फिर से देखते रहते हैं ताकि फोन से खेल सकें?

आजकल मोबाइल फोन सड़क पर मौत की पहली वजह बनते जा रहे हैं। साथ ही रिश्तों को बिगाड़ने की एक प्रमुख वजह भी। एक-दूसरे के साथ अच्छा समय बिताने की जगह जीवन साथी अपने वर्चुअल फ्रैंड्स को मैसेज देने में व्यस्त रहते हैं। मैं सोचता हूं बतौर समाज हम इस उपकरण की उपयोगिता को समझें और समय और रिश्तों की कीमत पर उसके व्यर्थ इस्तेमाल से बचें ताकि हम अनजाने में हमारे हाथ से फिसलती खुशियों को थाम सकें।

मोबाइल की लत के पीछे ठोस वजह यह है कि लोगों के जीवन में महत्वपूर्ण लक्ष्यों का अभाव है। वे जीवन के लिए जरूरी शिक्षा से दूर होते जाते हैं और मोबाइल फोन के माध्यम से सस्ते मनोरंजन और उसकी लत में लग जाते हैं। इसके चंगुल से निकलने के लिए पहली आवश्यकता यह है कि आप अपने जीवन को ज्यादा दिलचस्प और सार्थक बनाएं, मसलन अपने व्यवसाय का विस्तार करें या नई हॉबी की शुरूआत करें। इससे आप निश्चित रूप से ज्यादा व्यस्त रहेंगे और मोबाइल के लिए भी कम समय मिल पाएगा। इसके बाद आप अपने पक्के आत्मानुशासन से खुद को मोबाइल फोन का ज्यादा इस्तेमाल करने से रोकें।
(ये लेखक के अपने विचार हैं)

आनंद मुंशी, मोटिवेशनल स्पीकर और मैनेजमेंट गुरू


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