दिलचस्प बात यह है कि उनके बच्चों को उनकी संपत्ति का एक प्रतिशत से भी कम मिला है। कोई इतना कैसे कमा सकता है कि वह दुनिया में विश्व का सबसे धनी शख्स बन जाता है और साथ ही पूरी राशि चैरिटी में भी दे देता है। बिल गेट्स की उपलब्धियों को महज चार दशकों में हासिल करना लोगों के लिए असंभव-सा है। लेकिन यदि आप अपने क्षेत्र में शिखर पर पहुंचना चाहते हैं, खूब कमाना चाहते हैं और फिर भी एक संत की तरह कमाई से उदासीन रहना चाहते हैं, तो इन महत्वपूर्ण बातों पर गौर करें।
बिल गेट्स की पहली बात, जिसे अधिकांश लोग जानते हैं, वह यह कि उन्होंने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से अपनी पढ़ाई पूरी नहीं की, जबकि किसी प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटी में पढ़ना खुश और समृद्ध जीवन के लिए “गोल्डन टिकट” पाने जैसा है। लेकिन उन्होंने वह करना चुना, जो उनके दिल के करीब था। अधिकांश लोग उनके बारे में यह नहीं जानते कि वे उस समय दुनिया के उन चुनिंदा लोगों में से थे, जिनका कम्प्यूटर प्रोग्रामिंग पर काफी अच्छा अधिकार था। केवल यही नहीं, उन्होंने उन लोगों के साथ जुड़कर अतिरिक्त मेहनत की, जो उनके उत्पाद को अधिसंख्य लोगों तक पहुंचा सकें। सही अर्थ में देखा जाए, तो उन्होंने अपने मौलिक उत्पाद और सेवाओं को विश्व स्तर पर तुरंत पहुंचाकर इस क्षेत्र में अपनी व्यावसायिक काबिलियत की भी श्रेष्ठता सिद्ध की।
दूसरी बात जिसने बिल गेट्स को आर्थिक रूप से सफल बनाया, वह थी अपने स्वाभाविक हुनर को उन्होंने बहुत जल्दी पहचान लिया था। वे अपने जीवन की शुरूआत में समझ गए थे कि उन्हें कम्प्यूटर प्रोग्रामिंग के क्षेत्र में बड़ी सफलता हासिल करनी है। वे न तो अन्य प्रलोभनों से भटके और ना ही उन साथियों को देखकर अपने रास्ते से चूके, जो ऎसे काम हाथ में ले रहे थे, जिनमें जोखिम नहीं था। उन्होंने अपनी काबिलियत को निखारने के लिए हर कोशिश की और अपने पूरे सामथ्र्य से उसे विकसित करना सीखा। वे अतिरिक्त मेहनत से नहीं घबराए और भारत सहित दुनिया भर से इस क्षेत्र से जुड़ेसर्वाधिक काबिल लोगों को अपने माइक्रोसॉफ्ट ऑफिस और विंडोज ऑपरेटिंग सिस्टम से जोड़ा। किसी समय माइक्रोसॉफ्ट में काम करने वालों में लगभग तीस प्रतिशत भारत से थे। जहां एक ओर बिल गेट्स ने कम्पनी की शुरूआत करने और उसे मार्केट में लॉन्च करने का बड़ा साहस उठाया, वहीं बाद में मार्केट में अग्रणी रहने के लिए काबिल लोगों को अपनी योग्यता पर भरोसा करके रखा। यह इस बात से जाहिर है कि 1975 से आज तक चालीस साल बाद भी माइक्रोसॉफ्ट विंडोज ऑपरेटिंग सिस्टम पीसी सहित मार्केट में अग्रणी है।
उनमें एक और खूबी थी। वे यह जानते थे कि महज पैसा इंसान को खुश नहीं रख सकता, बल्कि उसे जरूरतमंद को देकर ज्यादा खुशी पाई जा सकती है। अपनी मां की सीख और पत्नी के सुझाव पर उन्होंने पूरे विश्व में गरीबी, भुखमरी और अशिक्षा दूर करने के लिए अपना सारा पैसा चैरिटी में देना तय किया। कितना महान उदाहरण है! हम सब उनसे सीख ले सकते हैं।
(ये लेखक के अपने विचार हैं)
– आनंद मुंशी, मोटिवेशनल स्पीकर और मैनेजमेंट गुरू
“अब आप पा सकते हैं अपनी सिटी की हर खबर ईमेल पर भी – यहाँ क्लिक करें“