ज्वैलरी सेक्टर आने वाले वजट से वित्त मंत्री से कई रियायतों के साथ पॉलिसी स्तर पर बदलाव की मांग कर रहा है, ताकि सेक्टर में पारदर्शिता बढ़े और असंगठित की तुलना में संगठित क्षेत्र का दायरा बढ़ाने में मदद मिले।
नई दिल्ली. साल 2016 रत्न और आभूषण सेक्टर के लिए काफी चुनौतीपूर्ण रहा। सोने की खरीदारी के लिए पैन कार्ड अनिवार्य करने और नोटबंदी का इस सेक्टर पर व्यापक असर हुआ है। कैश की कमी और सरकारी एजेंसियों की ओर से सोने की खरीदारी करने वालों पर सख्ती बरतने से इस सेक्टर में मांग में बड़ी कमी आई है। ऐसे में ज्वैलरी सेक्टर आने वाले वजट से वित्त मंत्री से कई रियायतों के साथ पॉलिसी स्तर पर बदलाव की मांग कर रहा है, ताकि सेक्टर में पारदर्शिता बढ़े और असंगठित की तुलना में संगठित क्षेत्र का दायरा बढ़ाने में मदद मिले।
कालेधन रोकने के लिए आयातत शुल्क में कटौती
मालाबार गोल्ड और डायमंड्स के चेयरमैन एम पी अहमद ने बताया कि हम आगामी बजट से काफी उम्मीद लगाएं हुए हैं। जिस तरह से प्रधानमंत्री कालेधन को खत्म करना चाहते हैं, उसके लिए इस सेक्टर में पारदर्शिता की बहुत जरूरत है। आयात शुल्क 10 से 6 फीसदी करने की मांग जेम्स एंड ज्वैलरी सेक्टर की लंबे समय से है। हम यह मांग करते हैं कि सरकार इस सेक्टर को बूस्ट देने के लिए बजट में लगने वाले आयात शुल्क में कटौती करें। इससे न सिर्फ इस सेक्टर को बूस्ट मिलेगा, बल्कि सेंटिमेंट भी पॉजिटिव होगा। इससे मांग बढ़ेगी, जिससे इस सेक्टर को फायदा मिलेगा। आयात शुल्क कम करने से इस सेक्टर में कालेधन का प्रवाह रोकने में भी मदद मिलेगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का लक्ष्य भी कालेधन रोकना है। हम उम्मीद करते हैं कि आने वाले बजट में वित्त मंत्री अरुण जेटली हमारी मांगों को मानेंगे औैर आयत शुल्क में जरूर कटौती करेंगे।
कर रियायत मिलें
ओरा ज्वैलरी के सीईओ विजय जैन ने बताया कि नोटबंदी के बाद से यह सेक्टर बुरी तरह प्रभावित हुआ है। अभी भी स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ है। हालांकि, लंबी अवधि के लिए यह फायदेमंद होगा। हम उम्मीद करते हैं कि सरकार आने वाले वजट में इस सेक्टर को गति देने के लिए ठोस कदम उठाएगी। मौजूदा समय में इस सेक्टर में संगठित प्लेयर्स की हिस्सेदारी 8 से 10 फीसदी के करीब है। इसको बढ़ाने के लिए सरकार को कई तरह की पहल करने की जरूरत है। इसमें टैक्स का बोझ, गोल्ड आयात करने को लेकर कानून को लचीला बनाने से लेकर फंड की जरूरत को पूरा करने के लिए बैंकों से फंडिंग की व्यवस्था के लिए प्रावधान हो।