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बेहतर तिमाही नतीजों, मानसून, दर कटौती से बाजार को उम्मीद

Published: May 24, 2015 03:13:00 pm

बाजार की
चाल मॉनसून के आगमन, आईओसी और एनटीपीसी की विनिवेश तारीखों के ऎलान से प्रभावित
होगी

Sensex

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मुंबई। कंपनियों के आगामी तिमाही नतीजों, मई वायदा एवं विकल्प (एफएंडओ) की समाप्ति, अमेरिका के प्रमुख आर्थिक आंकड़ों और आरबीआई द्वारा ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद से आगामी सप्ताह में भारतीय शेयर बाजार में अधिक उथल-पुथल रहने की उम्मीद है।15 मई और आठ मई को समाप्त कारोबारी सप्ताह के दौरान बाजार बड़ी गिरावट से उबरा है। बाजार की चाल मॉनसून के आगमन, आईओसी और एनटीपीसी की विनिवेश तारीखों के ऎलान और पुरानी तिथि से प्रभावी कर के मुद्दों से प्रभावित होगी।

जायफिन एडवाइजर्स के मुख्य कार्यकारी निदेशक देवेंद्र नेवगी ने बताया, “आगामी सप्ताह में बाजार में अस्थिरता रहेगी। कमजोर तिमाही नतीजों, अंतर्राष्ट्रीय अस्थिरता और खाद्यान्नों की बढ़ रही कीमतों की वजह से अभी भी बाजार में गिरावट है। जीएसटी और भूमि अधिग्रहण जैसे महत्वपूर्ण विधेयकों को पारित कराने की सरकार की क्षमता भी कम हो गई है। बाजार के लिए अन्य उत्प्रेरक कारकों में खाद्यान्न कीमतें, विशेष रूप से कच्चा तेल शामिल है, जिससे पेट्रोलियम उत्पादों का मूल्य बढ़ा है। इन कारकों पर बराबर नजर रखी जाएगी। रूपए-डॉलर की स्थिति पर भी नजर रखी जाएगी।”

हालांकि, जियोजिट बीएनपी पारिबास के वित्तीय सेवाओं के प्रमुख एलेक्स मैथ्यूज के मुताबिक, आगामी सप्ताह के पहले कुछ दिनों में बाजार में अच्छी-खासी खरीदारी होगी। मैथ्यूज ने से कहा, “शुक्रवार को अमेरिकी फेडरल रिजर्व की ओर से ब्याज दरों में कटौती में हो रही देरी पर जारी किए गए बयान की वजह से सोमवार और मंगलवार को खरीदारी देखी जा सकती है। मई वायदा कारोबार की समाप्ति की वजह से बाकी बचा सप्ताह अस्थिर रहेगा।”

उन्होंने कहा, “सेंसेक्स में एलएंडटी, भेल, टाटा मोटर्स जैसी बड़ी कंपनियों के तिमाही नतीजे जारी होने से उनका बाजार की चाल पर पड़ने वाले प्रभाव पर भी नजर रखी जाएगी।” उन्होंने कहा कि आगामी सप्ताह में बाजार की चाल के लिए घरेलू संकेतकों के अलावा, अमेरिका के मासिक खरीदारी प्रबंधक सूचकांक (पीएमआई), सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) आंकड़ों और घरों की बिक्री के आंकड़े मुख्य हैं। इन सबके अलावा, आरबीआई की दो जून को होने वाली मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक में ब्याज दरों में कटौती के फैसले पर भी सबकी निगाहें होंगी।

बाजार को अशा है कि खुदरा और थोक महंगाई के आंकड़े उम्मीद से बेहतर आकड़े आरबीआई को ब्याज दरों में कटौती के लिए विवश करेंगे। ब्याज दरों में कटौती से देश के उपभोक्ता चक्र में तेजी आएगी और विदेशी निवेशक वापस भारतीय बाजार में आ पाएंगे। न्यूनतम वैकिल्प कर (एमएटी) पर सरकार के आश्वासन के बाद बाजार से विदेशी निवेश का बर्हिभाव बंद हो गया था। सरकार ने आश्वासन देते हुए कहा था कि नई तिथि के प्रभाव से कर नहीं लागू होगा और गुरूवार को इस मुद्दे पर एक विशेषज्ञ समिति गठित की गई।

नेशनल सिक्युरिटीज डिपॉजिटरी लि (एनएसडीएल) के आंकड़ों के मुताबिक, 22 मई को समाप्त सप्ताह के दौरान विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने 33.333 करोड़ डॉलर यानी 2,120.77 करोड़ रूपये के शेयर खरीदे। बनर्जी ने कहा, “सरकार को एफआईआई निवेश सीमा बढ़ाकर 35 अरब डॉलर करने की जरूरत है।”
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