मेरठ। हार्इटेंशन विद्युत लाइन से हाथ गंवा चुके चार साल के दक्ष के लिए एसएसपी के निर्देश भी हवा-हवार्इ साबित हुर्इ है। तीन लोगों के खिलाफ नामजद रिपोर्ट के बावजूद एसएसपी इनकी गिरफ्तारी नहीं करवा पाएं। यह कोर्इ सेटिंग है या फिर कुछ और, लेकिन इससे दक्ष को तो इंसाफ नहीं मिल पाया। तीनों नामजद खुले घूम रहे हैं। और एसडीएम और पुलिस उनकी पैरवी में जुटी है।
दबाव में पहले विभाग पर रिपोर्ट
पिछले साल खेलते समय दक्ष के हाथ हार्इटेंशन लाइन से छूने पर उसके दोनों हाथ झुलस गए थे। मैदान में हार्इटेंशन लाइन ढ़ीली होकर मैदान के बीचों-बीच कुछ उपर ही झूल रही थी। यह सरासर बिजली विभाग की लापरवाही थी। साथ ही मवाना शुगर मिल की भी, क्योंकि बिजलीघर से यह लाइन मिल तक की थी। उस समय दक्ष के पिता बबलू कुमार पर दबाव बनाया गया कि वह नामजद रिपोर्ट दर्ज न कराए, इसकी एवज में बिजली विभाग ने पांच लाख रुपये की राहत राशि और मवाना शुगर मिल प्रबंधन ने स्थायी नौकरी देने का भरोसा दिलाया था। पिता ने तब बिजली विभाग के खिलाफ रिपार्ट दर्ज करार्इ थी, किसी को नामजद नहीं किया था।
इसके बाद पलटे आरोपी
यह सब होने के बाद इस घटना के जिम्मेदार अपने आश्वासनों से पलट गए। विभाग ने पांच लाख रुपये की राहत तो दी, लेकिन नौकरी नहीं मिली। साथ ही शासन से भी पूरी राहत राशि नहीं दी गर्इ। एक साल में दक्ष के अपाहिज माता-पिता की एसडीएम, बिजली विभाग, मवाना शुगर मिल और पुलिस के यहां चक्कर काटते-काटते चप्पलें घिस गर्इं, लेकिन आश्वासनों पर कोर्इ काम नहीं हुआ। शुगर मिल प्रबंधन स्थायी नौकरी देने को तैयार नहीं है, तो दो लाख रुपये की राहत राशि भी शासन के पास फंसी हुर्इ है।
एसएसपी के निर्देश पर
कुछ भी न होते देख पिता ने एसएसपी जे. रविन्द्र गौड़ से नामजद एफआर्इआर की गुहार लगार्इ। पिछले महीने तीन लोगों के खिलाफ मुकद्दमा दर्ज भी हो गया। लेकिन अभी तक एक्सर्इएन, एसडीओ और जेर्इ के खिलाफ पुलिस ने कोर्इ धर-पकड़ नहीं की है। इससे सेटिंग के खेल को समझा जा सकता है।