मेरठ. 17 फरवरी 2011 की घटना चहन सिंह बालियान को आज भी याद है, लेकिन शासन-प्रशासन और पुलिस के अफसरों से सहयोग नहीं मिलने के कारण ही वह अपनी लड़ार्इ हार्इकोर्ट में लड़ रहे हैं। चहन सिंह वही हेड पुलिस कांस्टेबल है, जिन्होंने करीब छह साल पहले हापुड़ रोड पर शाम के समय रविदास जयंती पर निकल रही शोभायात्रा के सामने से पूर्व मंत्री हाजी याकूब कुरैशी को गुजरने से मना किया था, लेकिन याकूब ने बात नहीं मानी। उस समय याकूब के साथ कार में उनका ड्राइवर था। याकूब और चहन सिंह में तकरार हुर्इ। इसके बाद याकूब ने चहन सिंह को थप्पड़ मार दिया था और खूब गाली-गलौज की थी। इतने हंगामे के बावजूद याकूब को आगे नहीं जाने दिया था।
चहन सिंह का आरोप है कि उस समय शासन-प्रशासन और पुलिस ने मेरा साथ नहीं दिया। अगर मेरा साथ देते तो एमपीजीएस में हंटरवाली जैसी घटना नहीं होती। पिछले साल पुलिस की नौकरी से रिटायर हुए चहन सिंह ने पिछले विधान सभा चुनाव में मेरठ दक्षिण विधान सभा सीट पर याकूब के सामने शिवसेना के उम्मीदवार के रूप में चुनाव भी लड़ा।
चहन सिंह ने आरोप लगाया कि पूर्व मंत्री याकूब की हंटरवाली बेटी आसमां को पुलिस ने जानबूझकर गिरफ्तार नहीं किया। चहन सिंह ने कहा कि याकूब को पैसे का घमंड है। मंच से दरोगा को दरोगी बुलाते हैं, इनके लड़के लालकुर्ती में पुलिस से मारपीट करते हैं। ये सब इनके पुराने काम हैं।