नोएडा। महागठबंधन की सभी तैयारिया पूरी हो चुकी हैंं। प्रदेश में सीटों का बंटवारा भी लगभग तय हो गया है। कुछ घंटों में इसकी घोषणा भी हो सकती है। ऐसे में अखिलेश के खिलाफ भी बगावत होनी तय मानी जा रही है, क्योंकि जो सीटें सपा की ओर से कांग्रेस को दी जा रही हैंं, वहां अखिलेश की ओर से पहले ही अपने उम्मीदवार खड़े किए हुए हैं। ऐसे में उनके टिकट कट जाने के बाद बगावत के सुर उठने लाजिमी हैंं। अब देखने वाली बात ये होगी कि आखिर किन सीट सीटों पर बगावत के सुर उठते हैं और अखिलेश की ओर से इसे किस तरह से हैंडल किया जाता है।
वेस्ट यूपी में सबसे ज्यादा
अगर बात वेस्ट यूपी की करें तो पहले दो चरणों में चुनाव यहीं हैं। कांग्रेस और सपा के गठबंधन में कांग्रेस के हाथों में सबसे ज्यादा सीटें वेस्ट से ही आएंगी। जिन सीटों को कांग्रेस को देने की बात की जा रही हैंं, उन पर पहले से ही अखिलेश द्वारा जारी लिस्ट में उम्मीदवार मौजूद हैं। ताज्जुब की बात तो ये है कि अभी तक अखिलेश और पार्टी की ओर से उन उम्मीदवारों को कोई इंटीमेशन नहीं दिया गया है। वहीं पहले चरण के चुनावों के नॉमिनेशन स्टार्ट हो चुके हैं। वैसे पार्टी की ओर से अभी नॉमिनेशन करने को नहीं बोला गया है। ऐसे में अखिलेश के उम्मीदवार अब भी थोड़े असमंजस की स्थिति में हैं। जानकारों की मानें तो अखिलेश अभी नई लिस्ट जारी करेंगे, जिनमें कुछ बदलाव होंंगे। हालांकि, ये पुरानी लिस्ट से मिलती-जुलती हुई होगी।
कांग्रेस को मिलेंगी ये सीटें
अगर बात वेस्ट यूपी में कांग्रेस की सीटों की करेंं तो नोएडा, जेवर, दादरी, हापुड़, मुरादनगर, सहारनपुर नगर, साहिबाबाद, गाजियाबाद, सिवालखास व बुढ़ाना सीटें प्रमुख हैं, जोकि कांग्रेस के पास आ सकती हैंं। इन सभी सीटों पर अखिलेश की पहली सूची में उम्मीदवारों के नाम शामिल हैं। अगर इस गठबंधन में रालोद भी शामिल होती है तो बागपत और मुजफ्फरनगर की कुछ और सीटों को सपा को छोड़ना होगा, जिनमें अखिलेश की ओर से पहले से ही उम्मीदवार खड़े किए हुए हैं।
होगी बगावत
ऐसे में सपा में इन सीटों पर बगावत होने के आसार पक्के हो गए हैं। खासकर मेरठ शहर सीट से रफीक अंसारी सबसे पहले बगावत करेंगे। वहीं, मेरठ कैंट से कांग्रेस की ओर से एक नया प्रत्याशी उतारने की तैयारी की जा रही है। वहीं सपा ने पहले से आरती अग्रवाल को टिकट दिया हुआ है। अखिलेश इस सीट से भी हाथ खींच सकते हैं, तो यहां भी बगावत पक्की है, क्योंकि आरती अग्रवाल सपा एमएलसी सरोजनी अग्रवाल की बेटी भी हैं। सरोजनी अग्रवाल का कद सपा में काफी अच्छा रहा है। वहीं सहारनपुर सीट कांग्रेस कभी नहीं छोड़ेगी। इमरान मसूद का दबदबा काफी अच्छा है। वो प्रदेश उपाध्यक्ष होने के साथ ही पार्टी के कद्दावर नेता भी हैं। वहीं उनके चाचा राशीद मसूद सपा में हैं। दोनों में 36 का आंकड़ा रहता है। ऐसे में दोनों एक दूसरे का विरोध करेंगे, जिससे दोनों ही पार्टियों को नुकसान होने की उम्मीद है। वहीं, गाजियाबाद में सपा शहर सीट के साथ ही मुरादनगर व मोदीनगर गठबंधन को दे सकती है, लेकिन अब बसपा से निष्कासित अमरपाल शर्मा के कांग्रेस का दामन थामने से लगता है कि साहिबाबाद सीट भी सपा कांग्रेस को सौंप सकती है। इन हालातों में सपा के पूर्व घोषित उम्मीदवारों का टिकट कटना तय है। लोनी विधानसभा सीट पर सपा के राशिद मलिक प्रत्याशी बना दिए गए जबकि ईश्वर मावी पहले से तैयारी कर रहे थे। वहीं, साहिबाबाद से सपा प्रत्याशी वीरेंद्र त्यागी का कहना है कि ये सीट सपा की है और वह ही यहां से चुनाव लड़ेंगे। ऐसी स्थिति में महागठबंधन होने पर मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं।
अखिलेश और राहुल समर्थकों से करेंगे बात
इस बारे में राजनीतिक विशश्लेषक प्रदीप शर्मा की मानें तो राहुल और अखिलेश की ओर से समर्थकों और बगावती सुर रखने वाले अपने उम्मीदवारों से नॉमिनेशन करने से पहले बात करने का मन बना चुके हैं। गठबंधन को लेकर काफी सोच समझकर आगे बढ़ा गया है। चुनाव में इस तरह की दिक्कतें कम ही होने की उम्मीद हैंं। अखिलेश की ओर से उन नेताओं कोई ऐसा आश्वासन जरूर दिया होगा या दिया जाएगा जिससे वो शांत होंगे। साथ चुनाव के दौरान गठबंधन का समर्थन करेंगे। वहीं इसके विपरीत कुछ चुनावी पंडित बगावत होने की बात कर रहे हैं।