लखनऊ।
लखनऊ में एक परिवार के पास महाभारत मिली है। खास बात यह है कि यह महाभारत तीन सौ
साल पुरानी है। इतना ही नहीं यह ऊर्दू में लिखी गई है। कर्बला में रहने वाले फरमान
ने बताया कि जब उन्होंने अपने पुरखों की पुस्तकालय को खंगाला तो उन्हें यह
महाभारत मिली।
फरमान ने बताया कि उनके पुरखों ने रायबरेली के पुश्तैनी गांव
में यह पुस्तकालय खोली थी। इसमें करीब दस हजार किताबें हैं। उन्होंने बताया कि
महाभारत के हर अध्याय के पहले फारसी भाषा की अरबी लिपि में उस अध्याय की प्रस्तावना
लिखी गयी थी।
उन्होंने कहा कि शायद उनके पिता की मौत के बाद इस किताब को ऎसी
जगह रखा दिया गया था, जहां पर किसी की नजर नहीं गई। उन्होंने कहा कि जब से ये
महाभारत मिली है, तभी से उनके घर पर लोगों का जमावड़ा लग गया है। ये लोग महाभारत को
देखना और उसे पढ़ना चाहते हैं।
वहीं महाभारत को पढ़ने वाले इस परिवार के
धार्मिक गुरू वहीद अब्बास का कहना है कि इस किताब में महाभारत को शब्दश: अनुवाद
नहीं किया गया है, बल्कि उसे कहानी के रूप में समझाया गया है। उन्होंने कहा कि इस
किताब में जिन लोगों के बारे में लिखा गया है वो आसमान और जमीन में पाए जाते हैं।
मेरे ख्याल से यह श्री कृष्ण के बारे में लिखा है।