अजमेर के धनिये से आएगी हाड़ौती में खुशहाली की महक
अजमेर स्थित राष्ट्रीय बीजीय मसाला अनुसंधान केंद्र द्वारा इजाद की गई
लौंगिया रोग रोधक धनिये की किस्म एआरसी-वन हाड़ौती के धनिया उत्पादक
किसानों के खुशहाली के द्वार खोलेगी। अनुसंधान केंद्र के अधिकारियों ने
हाड़ौती में इस किस्म के धनिये की बुवाई की सिफारिश की है।
अजमेर स्थित राष्ट्रीय बीजीय मसाला अनुसंधान केंद्र द्वारा इजाद की गई लौंगिया रोग रोधक धनिये की किस्म एआरसी-वन हाड़ौती के धनिया उत्पादक किसानों के खुशहाली के द्वार खोलेगी। अनुसंधान केंद्र के अधिकारियों ने हाड़ौती में इस किस्म के धनिये की बुवाई की सिफारिश की है। कृषि विभाग ने भी अनुसंधान केंद्र से 9 क्विंटल बीज मंगवाकर किसानों को बांटा है।
फसल को रोग की नजर
हाड़ौती में उत्पादित होने वाले धनिये पर करीब तीन साल से लौंगिया रोग की नजर लगी हुई है। पौधे के पूर्ण रूप से विकसित होने पर मावठ गिरने, बादल छाने के साथ फसल को रोग जकड़ लेता है। इसके चलते तीन साल से किसानों को आशानुरूप उत्पादन नहीं मिल पा रहा।
उत्पादन की स्थिति
देश का 70 फीसदी धनिया हाड़ौती के कोटा, बारां व झालावाड़ जिले में होता है। हाड़ौती में सालाना 80 हजार से एक लाख हैक्टेयर में धनिये की बुवाई होती है। हाड़ौती में धनिये के उत्पादन को देखते हुए राज्य सरकार ने रामगंजमंडी में धनिया मंडी स्थापित कर रखी है।
धनिया व्यापारियों के मुताबिक हाड़ौती में सालाना दस लाख बोरी से अधिक धनिये का उत्पादन होता है। इसमें से 15 फीसदी बेस्ट क्वालिटी का धनिया गुजरात, कर्नाटक, तमिलनाडु, चेन्नई के निर्यातकों के माध्यम से खाड़ी देशों में निर्यात होता है। शेष धनिये की मसालों व आयुर्वेदिक दवाइयों में खपत होती है।
अजमेर स्थित राष्ट्रीय बीजीय मसाला अनुसंधान केंद्र द्वारा इजाद धनिये की किस्म एआरसी-वन लौंगिया रोग रोधक है। वहां से मंगवाया गया बीज उद्यान विभाग व बीज निगम के माध्यम से किसानों को बांटा गया है, जो आगामी वर्ष में बीज के रूप में काम में लिया जाएगा।
पी. के. गुप्ता, संयुक्त निदेशक, कृषि