कैसे मिलेगा मुआवजा, 75 फीसदी टू-व्हीलर वाहनों का बीमा नहीं
75 प्रतिशत दो पहिया वाहन बिना बीमा के ही दौड़ रहे, ऎसे में वाहन टक्कर मार दे तो मुआवजा मिलने की सम्भावनाएं कम है
नई दिल्ली। देश में लगभग 75 प्रतिशत दो पहिया वाहन सड़कों पर बिना बीमा के ही दौड़ रहे हैं। ऎसे में पैदल चलने वालों या साइकिल चालकों को कोई वाहन टक्कर मार दे तो मुआवजा मिलने की सम्भावनाएं बहुत कम ही हैं।
यह खुलासा इंश्योरेंस रेगूलेटरी डेवलपमेन्ट अथॉरिटी ने सड़क सुरक्षा पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित कमेटी के समक्ष किया है। समिति ने परिवहन मंत्रालय को सुझाव दिया है कि ऎसे वाहनों की पहचान के लिए दिशा-निर्देश बनाए जाएं। समिति अध्यक्ष जस्टिस (रि) के एस राधाकृष्णन कहते हैं कि प्राधिकरण के प्रतिनिधियों ने इसी माह की शुरूआत में उन्हें बताया था कि अधिकांशत: दो पहिया वाहन या तो बीमित नहीं हैं या उनका बीमा खत्म हो गया है। कानून के कम प्रभावी तंत्र के चलते वाहनचालक बीमा का नवीनीकरण भी नहीं कराते हैं।
सुप्रीम कोर्ट में उन्हें तीन माह में रिपोर्ट सौंपनी है। एक मोटे अनुमान के अनुसार देश के कुल वाहनों में 70 फीसदी वाहन दोपहिया हैं। भारत में 82 फीसदी वाहन निजी हैं। हाल के साल में ग्रामीण इलाकों में दो पहिया वाहनों की संख्या बढ़ी है, जहां बीमा के कागजात देखने में सक्षम एजेंसियां खुद को असमर्थ पा रही हैं।
दिल्ली के एक ट्रांसपोर्ट थिंकटैंक एसपी सिंह कहते हैं कि सड़कों पर बिना बीमा के वाहन दौड़ाने को आपराधिक कृत्य के रूप माना जाए और किसी को भी किसी के जीवन से खिलवाड़ करने की इजाजत नहीं दी जानी चाहिए। जस्टिस राधाकृष्णन ने यह भी कहा कि समिति ने राज्यों को भेजे दिशा-निर्देशों में यह भी कहा है कि सड़क सुरक्षा के वास्ते राष्ट्रीय और राज्यों के राजमार्ग पर शराब की बिक्री पर प्रतिबंध लगाया जाए।
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