नई दिल्ली। नोटबंदी के बाद कालेधन को जनधन खातों में खपाने के शोर के बीच सरकार जिस एक लाख 64 हजार करोड़ के कालेधन को जनधन खातों में जमा होने का दावा कर रही है, वह सिरे से गलत है। नोटबंदी के बाद जनधन खातों में कुल 90 हजार 639 करोड़ रुपए ही जमा हुए हैं। इसके अलावा सरकार खातों में जमा कराने की सीमा को नए सिरे से तय करने के जिस आदेश का हवाला दे रही है, वह असल में योजना शुरू होने के साथ ही योजना के नियमों में शामिल था।
रिजर्व बैंक समेत जनधन खाता योजना से जुड़े सूत्रों के अनुसार अगस्त 2014 में योजना की शुरुआत होने के बाद देशभर में 25.78 करोड़ जनधन खाते खोले गए थे। इनमें नोटबंदी शुरू होने से पहले 74 हजार 321.55 करोड़ की राशि जमा हुई थी। नोटबंदी के बाद इन खातों में तेजी से कालाधन जमा होने का दावा किया गया और केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड ने इस सिलसिले में जनधन खाताधारकों को चेतावनी भी जारी कर दी। जबकि हकीकत कुछ और है, नोटबंदी के बाद जनधन खातों में जमा राशि का कुल आंकड़ा गलत बताया गया।
सूत्रों के अनुसार जनधन खातों में नोटबंदी के बाद जमाओं की संख्या बढ़ी जरूर, लेकिन वह इतने बड़े पैमाने पर नहीं थी कि उसे कालेधन को सफेद किए जाने का रास्ता माना जाता। सूत्रों ने बताया कि नोटबंदी से पहले इन खातों में 74 हजार 321.55 करोड़ की राशि जमा हुई थी। नोटबंदी के बाद यह राशि बढ़कर एक लाख 64 हजार करोड़ हो गई। इस प्रकार नोटबंदी के बाद जनधन खातों में कुल 90 हजार करोड़ रुपए जमा हुए। जबकि सरकार ने बिना आंकड़ों की जांच किए समूची राशि को ही कालाधन बताते हुए आयकर कानूनों के तहत जांच कराने का ऐलान कर दिया।