योंगद्र यादव पिछले कई दिनों से जिन मांगों को लेकर लड़ाई लड़ रहे थे उनमें एक मुख्य मांग नवीन जयहिंद मुक्त हरियाणा की थी। यादव ने पिछले वर्ष गुडग़ांव से लोकसभा चुनाव लड़ा था और उन्हें करीब एक लाख वोट मिले थे। हरियाणा में पिछले लंबे समय से आम आदमी पार्टी में योगेंद्र यादव तथा नवीन जयहिंद के गुट सक्रिय थे। दोनों नेता अलग-अलग एजेंडे पर राजनीति कर रहे थे। गत दिवस नवीन जयङ्क्षहद ने बकायदा एक सूची जारी करके कहा था कि योगेंद्र यादव यूपीए सरकार के कार्यकाल में 25 समीतियों के सदस्य थे।
आज जब दिल्ली में योगेंद्र यादव को पार्टी से बाहर करने का निर्णय लिया गया तो उनके साथ जो लोग बाहर आए हैं उनमें ज्यादातर नेता हरियाणा से संबंधित हैं। यादव के साथ पार्टी की हरियाणा इकाई के संयोजक आशावंत, परमजीत सिंह, पार्टी प्रवक्ता राजीव गोदारा, यमुनानगर जिला संयोजक वालिया तथा मेवात के नेता रमजान चौधरी भी बाहर आ गए। इन सभी नेताओं का हरियाणा के साथ सीधा संपर्क रहा है। सूत्रों की मानें तो योगेंद्र यादव को बाहर किए जाने के बाद लंबे समय तक हरियाणा के बारे में ही चर्चा हुई है। क्योंकि हरियाणा में इस समय नवीन जयहिंद को छोडक़र अन्य कोई बड़ा नेता नहीं रहा है। जयहिंद भी राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य हैं।
आम आदमी पार्टी का दिल्ली का पहला लक्ष्य हरियाणा रहा
है। क्योंकि अरविंद केजरीवाल हरियाणा के हैं तथा केजरीवाल मंत्रीमंडल के अधिकतर
सदस्य हरियाणा से ही हैं। दूसरी तरफ बागी नेता योगेंद्र यादव की भी पहली पसंद
हरियाणा ही रहा है। हरियाणा के चाहत में योगेंद्र यादव ने कई बार पार्टी द्वारा दी
गई बड़ी जिम्मेदारियों को भी ठुकरा दिया था। अब बदले हुए हालातों में आम आदमी
पार्टी को जहां हरियाणा में नया संगठन खड़ा करना पड़ेगा वहीं लोगों का खोया हुआ
विश्वास भी बहाल करना होगा। दूसरी तरफ अगर योगेंद्र यादव कोई नया संगठन खड़ा करते
हैं तो वह भी आम आदमी पार्टी की राह में रोड़ा बनते हुए हरियाणा में ही सक्रिय
भूमिका निभाएंगे।