नई दिल्ली। रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर अगले हफ्ते अमरीका के दौरे पर जा रहे हैं। माना जा रहा है कि इस दौरे पर पर्रिकर अमरीका से ड्रोन मांग सकते हैं। पूर्व में भारत की इस गुजारिश को वॉशिंगटन ने अंतरराष्ट्रीय नियमों का हवाला देते हुए ठुकरा दी थी। भारतीय वायु सेना को सीमा पार से मिलने वाली चुनौतियों का सामना करने के लिए इस जरूरी उपकरण की मांग रक्षा मंत्री कर सकते हैं।
बता दें कि भारत की मांग उन्हीं ड्रोन की है, जिनका अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बॉर्डर पर अमरीका अक्सर प्रयोग करता है। सूत्रों का कहना है कि ऐसा कोई भी कदम भारत के लिए संवेदनशील सीमावर्ती इलाकों में भारत की आक्रामक पहल को बताने के लिए काफी है। पूर्व में वॉशिंगटन ने भारत की इन ड्रोन की मांग की अपील ठुकरा दी थी। अब स्थिति थोड़ी अलग है। इसी साल जून में भारत को मिसाइल टेक्नॉलजी कंट्रोल सिस्टम (एमटीसीआर) की सदस्यता मिली है। भारत को उम्मीद है कि इस उपलब्धि के बाद अमरीका से ड्रोन पाना आसान होगा।
एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार पूर्व में भारत की अपील को अमरीका ने अंतरराष्ट्रीय नियमों का हवाला देकर स्वीकार नहीं किया था। हालांकि, निगरानी के लिए उपयुक्त प्रेडटर (सैन्य रक्षा संबंधी उपकरण) भारतीय नौसेना को देने की पेशकश अमरीका ने की थी। हालांकि, इन सबके बाद भी ड्रोन हासिल करने का रास्ता भारत के लिए इतना आसान नहीं है। वॉशिंगटन की तरफ से भारत पर कुछ समझौतों पर हस्ताक्षर करने की बाध्यता बनाई जाएगी। इनमें सिक्यॉरिटी मेमोरेंडम अग्रीमेंट समेत कुछ अन्य समझौते हैं।
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