जम्मू।
जम्मू
कश्मीर के रेयासी जिले में
वैष्णोदेवी तीर्थस्थल में नवरात्र के दौरान दर्शक इस बार
दंगल के अखाड़े में भारत-पाकिस्तान के
पहलवानों की लोकप्रिय कुश्ती का लुत्फ उठाने
से वंचित रह जाएंगे, क्योंकि पड़ोसी देश के पहलवानों को
अंतरराष्ट्रीय कुश्ती
प्रतियोगिता में आमंत्रित नहीं किया गया है ।
प्रशासन ने पहलवानों को नहीं बुलाने की सलाह दीकुश्ती प्रतियोगिता के आयोजक
शिव कुमार शर्मा ने आज यहां प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि पिछले वर्ष पाकिस्तान के
पहलवानों को आमंत्रित करने के लिए आवेदन किया गया था और इसके लिए वीजा भी मिल गया
था, लेकिन विधानसभा चुनाव के मद्देनजर स्थानीय प्रशासन ने पड़ोसी देश के पहलवानों
को न बुलाने की सलाह दी । इस बार भी हालात लगातार खराब रहने के कारण हमने उन्हें
आमंत्रित नहीं किया।
2005 में पहली बार आए थे पाकिस्तानी पहलवानवैष्णोदेवी तीर्थस्थल में नवरात्र समारोह की तैयारियों
की जानकारी देने के लिए आयोजित इस प्रेस कांफ्रेंस में शर्मा ने बताया कि 1947 में
विभाजन के बाद 2005 में पहली बार पाकिस्तान के पहलवानों को दंगल प्रतियोगिता में
शामिल होने के लिए बुलाया गया था। उसके बाद से 2012 तक यह परंपरा बदस्तूर चलती रही
। दोनों देशों के पहलवानों को अखाड़े में पंजे लड़ाते देखने के लिए दूर -दूर से
दर्शक आते थे और यह खेल लोकप्रिय हो गया था ।
2012 में भारतीय पहलवानों ने पेशवार में बजाया था डंकाशर्मा के अनुसार खेल के जरिए
पूरी दुनिया में भाईचारे और अमन चैन का संदेश देने के लिए इसे मिशन दोस्ती
इंटरनेशनल इंडियन स्टाइल दंगल का नाम दिया गया था । जम्मू कश्मीर इंडियन स्टाइल
कुश्ती एसोसिएशन के अध्यक्ष शर्मा के अनुसार भारत के पहलवानों ने भी 2012 में
पाकिस्तान के पेशावर में अपना डंका बजाया था। इस दौरान पाकिस्तान के लोगों ने
भारतीय खिलाडियों की बड़ी खातिरदारी भी की थी। वर्ष 2013 में भारतीय सैनिकों का सिर
काटने की घटना के कारण पड़ोसी देश के पहलवान शामिल नहीं हो सके थे ।
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