कलबुर्गी की हत्या के बाद से अब तक कन्नड़ तथा हिन्दी के सात लेखक पुरस्कार लौटा चुके हैं। हिन्दी के प्रसिद्ध कहानीकार उदय प्रकाश ने भी कुछ दिन पहले अपना अकादमी पुरस्कार लौटा दिया था। ललित कला अकादमी के पूर्व अध्यक्ष एवं महात्मा गांधी अन्तरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय के कुलपति रहे वाजपेयी ने कहा कि वह मोदी सरकार के कार्यकाल में साम्प्रदायिक घटनाओं की वृद्धि से काफी चिन्तित हैं। एक तरफ कुलबुर्गी जैसे लेखकों की हत्या हो रही है तो दूसरी तरफ गोमांस की अफवाह पर अखलाक को जान से मार दिया जा रहा है और प्रधानमंत्री ऎसे मामलों में चुप्पी साधे हैं। उनके मंत्री रोजाना ऎसे भड़कीले बयान दे रहे हैं लेकिन प्रधानमंत्री कुछ बोलते तक नहीं। अब देश के लेखकों और बुद्धिजीवियों को अपना स्टैंड लेने का समय आ गया है।
उन्होंने कहा कि कई लेखक बहुत व्यथित हैं और वे भी पुरस्कार लौटाना चाहते हैं। उनकी ऎसे कई लेखकों से बात हुई है और उन्होंने मुझे टेलीफोन पर अपनी व्यथा कही है। वाजपेयी ने कहा कि वह जल्द ही साहित्य अकादमी के अध्यक्ष विश्वनाथ प्रसाद तिवारी को पत्र लिखकर अपने पुरस्कार को लौटाने की औपचारिक जानकारी उन्हें दे देंगे।
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