टाइगर हिल पर हमला करने के लिए एयर चीफ मार्शन ने खुद मोर्चा संभाला था। इस दौरान उन्होंने अपनी टीम के साथ मिलकर भारी संख्या में दुश्मन को ढेर किया था।
नई दिल्ली। मई 1999 में पाकिस्तानी घुसपैठियों ने जम्मू-कश्मीर के कारगिल सेक्टर में बने बंकरों पर कब्जा कर लिया था। पाकिस्तानी सेना ने एक अहम रणनीति बनाते हुए टाइगर हिल पर अपनी सेना की नॉर्दन लाइट इंफेंट्री का कमांड और कंट्रोल सेंटर स्थापित कर दिया। टाइगर हिल कारगिल सेक्टर की सबसे ऊंची चोटियों में से एक था। जिस वजह से दुश्मन आसानी से नेशनल हाईवे 1 पर नजर रख रहा था। जैसे ही भारतीय सेना का काफिल हाईवे से गुजरता वैसे ही पाकिस्तानी सेना आर्टिलरी की मदद से भारी गोलाबारी शुरू कर देती थी। पाक सेना का मकसद लद्दाख डिविजन में सेना की गतिविधियों को रोकना था ताकि लद्दाख में कब्जा किया जा सके।
सेना ने मांगी थी एयरफोर्स की मदद
टाइगर हिल की ऊंचाई ज्यादा होने के चलते नीचे से हमले की कोशिश नाकाम होती जा रही थी। ऐसे में भारतीय सेना ने एयरफोर्स की मदद मांगी। इस दौरान एयरफोर्स के सामने एक बड़ी मुश्किल आ खड़ी हुई। एयरफोर्स को कारगिल में हमला करने के लिए लेजर गाइडेड बम चाहिए थे। उस दौरान इजराइल ने भारत की मदद करते हुए लड़ाकू विमान मिराज में लाइटनिंग ऑप्टिकल टार्गेटिंग पॉड्स लगा तो दिए लेकिन एक दिक्कत अभी भी सामने थी। टार्गेटिंग पॉड्स से जिस एलजीबी बम को चलाना था वो भारत के पास नहीं था। इस बम के पार्ट्स अमरीका और ब्रिटेन से आने थे। परमाणु परीक्षण की वजह से भारत पर बैन लगा था जिस वजह से भारत चाह कर भी बम नहीं मंगा सकता था। ऐसे में तत्कालीन एयर चीफ मार्शल ए वाय टिपनिस के नेतृत्व में वायुसेना के अधिकारियों ने एयरफोर्स के पारंपरिक 1000 पाउंड के बम को चलाने का फैसला लिया। यह एक देसी आइडिया था कि इजराइली तकनीकी से पारंपरिक बम को दागा जाए।
लड़ाकू विमान से टाइगर हिल पर हमला करने पहुंचे टिपनिस
इस बीच एयर चीफ मार्शल को चिंता सताए जा रही था कि कहीं उनका यह प्लान फेल न हो जाए। यह प्लान ही कारगिल युद्ध में निर्णायक भूमिका निभाने वाला था। ऐसे में एयर चीफ मार्शल ने खुद इस हमले की निगरानी का फैसला लिया। तय किया गया कि दो मिराज-2000 लड़ाकू विमान टाइगर हिल की ओर जाएंगे और वहां बैठे दुश्मन को खत्म कर देंगे। 24 जून को उड़ान भरते हुए दोनों मिराज टाइगर हिल पर पहुंचे। पहले मिराज ने दुश्मन के ठिकाने को निशाना बनाते हुए देसी बम से उन्हें नेस्तनाबूत कर दिया, जबकि दूसरा मिराज पूरे ऑपरेशन पर नजर रख रहा था। दूसरे मिराज में एयर चीफ मार्शन बैठ कर अन्य पायलटों को निर्देश दे रहे थे।
देसी बम ने तबाह किया दुश्मन का कंट्रोल सेंटर
देसी बम का वार इनता भयानक था कि वहां पाकिस्तानी सेना का पूरा कंट्रोल सेंटर तहस नहस हो गया। एयरफोर्स हमले के तुरंत बाद टाइगर हिल पर बचे दुश्मनों को भारतीय सेना ने ढेर कर दिया। एयर चीफ मार्शन के इस कदम की काफी सरहना भी की गई थी।