अंबिका सोनी, शैलजा, टाइप-8 बंगले की अधिकारी नहीं: कोर्ट
दिल्ली उच्च न्यायालय ने खारिज की कांग्रेस सांसद अंबिका सोनी और कुमार शैलदा की याचिका, कहा- टाइप-8 बंगले की अधिकारी नहीं
नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने गुरूवार को कांग्रेस सांसदों -अंबिका सोनी और कुमार शैलजा की वह याचिका खारिज कर दी जिसमें उन्होंने उनके सरकारी बंगले को खाली कराए जाने के सरकार के फैसले को चुनौती दी थी। न्यायमूर्ति आर.एस.एंडलॉ ने तीन महीने के अंदर उन्हें डायरेक्टोरेट ऑफ एस्टेट में 25-25 हजार रूपये जमा कराने के भी आदेश दिए हैं। न्यायमूर्ति ने कहा, “हर कोने से इस याचिका को देखा, इस याचिका का कोई आधार नहीं है, जिसे खारिज किया जाता है।”
सोनी और शैलजा क्रमश: 22,अकबर रोड और सात मोतीलाल नेहरू मार्ग पर रहती हैं। सरकार ने उनके टाइप-8 बंगले को खारिज कर उन्हें क्रमश: 84,लोदी एस्टेट तथा एबी-14 मथुरा रोड में टाइप-सात बंगला आवंटित किया है। टाइप-8 बंगला पूर्ववर्ती संप्रग सरकार के मंत्रियों को आवंटित किया गया था।
सोनी और शैलजा क्रमश: राज्यसभा सदस्य हैं और उन्होंने भाजपा नीत केंद्र सरकार पर आरोप लगाए कि यह विपक्षी सदस्यों के खिलाफ विद्वेषपूर्ण तरीके से कार्रवाई कर रही है और उन्हें टाइप-8 से टाइप-7 के बंगले में जाने को कह रही है। न्यायालय ने हालांकि, इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा, “मैं भी इससे दुखी हूं कि याचिककर्ता जिस मकान की अधिकारी नहीं हैं, उसे पाने के लिए मुद्दे को राजनीतिक रंग देने का प्रयास कर रही हैं।”
इसने कहा, “मेरे नजरिए से सरकार जिसका आधार कानूनी है, उसकी कार्रवाई प्रतिशोध वाली नहीं हो सकती।” उन्होंने कहा, “”यद्यपि याचिकाकर्ता ने झूठे आरोप लगाए हैं, और यह कोई सबूत देने में नाकाम रही हैं कि किसी के द्वारा अनाधिकृत रूप से मकान पर कब्जा जमाए जाने पर कार्रवाई न की गई हो, लेकिन मैं यह कहना चाहूंगा कि संविधान का अनुच्छेद 14 नकारात्मक समानता की इजाजत नहीं देता।”
दोनों पूर्व मंत्रियों ने कहा कि वरिष्ठ सांसद जो केंद्रीय कैबिनेट का हिस्सा रहे हों या प्रमुख मंत्री रहे हों या राज्यपाल या लोकसभा के अध्यक्ष रहे हैं, राज्यसभा की वेबसाइट पर प्रकाशित नीति के अनुसार टाइप-8 के तहत उन्हें मकान पाने का अधिकार है।
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