scriptकलाम साहब से जुड़ा एक दिलचस्प किस्सा- “मैंने ऊपर बात कर ली है” | An interesting anecdote of Mr. Kalam | Patrika News

कलाम साहब से जुड़ा एक दिलचस्प किस्सा- “मैंने ऊपर बात कर ली है”

Published: Jul 28, 2015 09:52:00 pm

एक दिलचस्प किस्सा हम यहां आप के साथ साझा कर रहे हैं, बात तब की है जब कलाम साहब देश के राष्ट्रपति थे। 

 Abdul kalam

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नई दिल्ली। पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम अब हमारे बीच नहीं हैं लेकिन उनसे जुड़ी यादें, उन से जुड़े बातें एक लंबे समय तक हमारे साथ रहेंगी। कलाम साहब जिंदा दिल इंसान थे, अपने साथ काम करने वाले अधिकारियों से हंसी-मजाक करते रहते थे। उनके साथ कमा कर चुके अधिकारी अक्सर उनकी कुछ बातें साझा करते रहते थे, इनमें से एक दिलचस्प किस्सा हम यहां आप के साथ साझा कर रहे हैं, बात तब की है जब कलाम साहब देश के राष्ट्रपति थे। 

ये किस्सा 15 अगस्त 2003 का है जब कलाम साहब ने स्वतंत्रता दिवस के मौके पर शाम को राष्ट्रपति भवन के लॉन में हमेशा की तरह एक चाय पार्टी का आयोजन किया। इस पार्टी में उन्होंने करीब 3000 लोगों को आमंत्रित किया गया। दिल्ली में सुबह से जो बारिश शुरू हुई तो रूकने का नाम नहीं ले रही थी। बारिश को लेकर राष्ट्रपति भवन के अधिकारी परेशान हो गए कि इतने सारे लोगों को भवन के अंदर चाय नहीं पिलाई जा सकती। अधिकारियों ने आनन-फानन में 2000 छातों का इंतजाम कराया गया। जिससे महमानों को भीगने से बचाया जा सके। जब दोपहर बारह बजे राष्ट्रपति के सचिव उनसे मिलने गए तो कलाम ने कहा कि क्या लाजवाब दिन है, ठंडी हवा चल रही है । कलाम साहब मौसम देख कर बहुत खुश थे। 

लेकिन सचिव ने उन से कहा कि आपने 3000 लोगों को चाय पर बुला रखा है, इस मौसम में उनका स्वागत कैसे किया जा सकता है? कलाम ने कहा कि चिंता मत करिए हम राष्ट्रपति भवन के अंदर लोगों को चाय पिलाएंगे , मैंने ऊपर बात कर ली है। सचिव ने कहा हम ज्यादा से ज्यादा 700 लोगों को अंदर ला सकते हैं। मैंने 2000 छातों का इंतजाम तो कर दिया है लेकिन ये भी शायद कम पड़ेंगे। कलाम ने उनकी तरफ देखा और बोले कि हम कर भी क्या सकते हैं। अगर बारिश जारी रही तो ज्यादा से ज्यादा क्या होगा… हम भीगेंगे ही न, उनके सचिव बारिश को लेकर बहुत परेशान थे, वे जाने के दरवाजे तक ही पहुंचे थे कि कलाम ने उन्हें पुकारा और आसमान की ओर देखते हुए कहा कि आप परेशान मत होइए, मैंने ऊपर बात कर ली है। उस समय दिन के 12 बज कर 38 मिनट हुए थे। लेकिन तभी ठीक 2 बजे अचानक बारिश थम गई, सूरज निकल आया, ठीक साढ़े पांच बजे कलाम परंपरागत रूप से लॉन में पधारे, अपने मेहमानों से मिले, उनके साथ चाय पी और सबके साथ तस्वीरें खिंचवाई, सवा छह बजे राष्ट्र गान हुआ और पार्टी सही तरीके से संपन्न हो गई । इसके बाद जैसे ही कलाम राष्ट्रपति भवन की छत के नीचे पहुंचे, फिर से झमाझम बारिश शुरू हो गई। ये किस्सा एक अंग्रेजी पत्रिका वीक में छपी था। 
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