सेना को मिलेंगी शानदार “फ्यूचर इन्सास” राइफलें
Published: Jul 05, 2015 02:21:00 pm
“इन्सास” राइफलों की जगह 66 हजार नई
आधुनिक राइफलें आयात करने के लिए जारी की गई वैश्विक निविदा रद्द कर दी है
नई दिल्ली। सरकार ने रक्षा क्षेत्र में “मेक इन इंडिया” को बल देने के मकसद से सेना के जवानों के लिए दो दशक पुरानी स्वदेश निर्मित “इन्सास” राइफलों की जगह 66 हजार नई आधुनिक राइफलें आयात करने के लिए जारी की गई वैश्विक निविदा रद्द कर दी है। रक्षा मंत्रालय ने अब फैसला किया है कि रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के शस्त्र अनुसंधान एवं विकास स्थापना की प्रयोगशाला में विकसित “फ्यूचर इन्सास” राइफलों को पुरानी इन्सास राइफलों की जगह लाया जाएगा।
सेना के सूत्रों ने बताया कि इस कदम से जहां एक ओर सरकारी $खकााने में करोड़ों रूपए की बचत होगी, वहीं दूसरी ओर स्वदेशी रक्षा उद्योग को बढ़ावा भी मिलेगा। सेना के एक उच्च अधिकारी ने बताया, हमने अपने बलबूते एक विश्वसनीय राइफल बना ली है। हम इस स्वदेशी हथियार के विकास के मौके का भरपूर लाभ उठाएंगे। हमारे पास इन्सास के इस्तेमाल का न्यूनतम से कहीं अधिक अनुभव है।
उन्होंने कहा, ऎसा नहीं है कि हमने कोई बहुत बड़ी उपलब्धि हासिल की हो। पर हमें समझना चाहिए कि कम से कम आग्नेयास्त्रों के विकास के मामल में तो भारत किसी से कम नहीं है। रक्षा मंत्रालय ने 25 करोड़ रूपए की लागत से 5.56 मिलीमीटर की असॉल्ट राइफलें खरीदने के प्रस्ताव मंगाने के लिए अनुरोध (निविदा) जारी की थी। सेना को 1990 के दशक में शामिल की गई पुरानी इन्सास राइफलों की जगह 5.56 मिलीमीटर की नई असॉल्ट राइफलों की सख्त आवश्यकता है।
वैश्विक निविदा में नई राइफलों के आयात के साथ-साथ प्रौद्योगिकी हस्तांतरण का भी प्रावधान रखा गया था ताकि इसी लाइसेंस के अंतर्गत उनका स्वदेश में निर्माण करके भविष्य की जरूरतों को पूरा किया जा सके। लेकिन, अब सेना स्वेदशी नई राइफलों के परीक्षणों से खासी उत्साहित है जिसके नतीजे बहुत ही शानदार रहे हैं।
सेना के अधिकारी ने बताया कि नई “त्रिची असॉल्ट राइफल” में विदेशी ए के राइफलों की तुलना में अधिक खूबियां हैं। यह हमारे लिए बेहद उपयुक्त समय है कि हम यांत्रिक इंजीनियरिंग में कुछ और प्रगति करें। “मेक इन इंडिया” का रास्ता प्रशस्त करने के लिए नरेन्द्र मोदी सरकार द्वारा यह दूसरा बड़ा रक्षा टेण्डर रद्द किया गया है। इससे पहले रक्षा मंत्रालय ने सेना एवं वायुसेना के लिए 197 हल्के हेलीकॉप्टरों की खरीद का प्रस्ताव रद्द कर दिया था। इन हेलीकॉप्टरों की कमी स्वदेशी उपक्रमों से पूरी की जाएगी।