सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने एनजीटी के समक्ष दायर याचिका में कहा है कि इससे आम जन जीवन असर पड़ेगा
नई दिल्ली। केन्द्र सरकार ने राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) से दिल्ली और
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में 15 साल पुराने पेट्रोल और 10 वर्ष पुराने डीजल
वाहनों पर लगे प्रतिबंध संबंधी आदेश पर यह कहकर रोक लगाने का आग्रह किया कि इससे
सार्वजनिक और आवश्यक सेवाएं प्रभावित होंगी । सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने
एनजीटी के समक्ष दायर अपनी याचिका में कहा है कि इससे आम जन जीवन और आवश्यक सेवाओं
पर असर पड़ेगा।
याचिका में कहा गया है कि अधिकतर देशों में प्रदूषण को कम
करने के लिये वाहन की उम्र नहीं देखी जाती वरन उसकी फिटनेस जिसमें वाहन की स्थिति
और उससे होने वाले उत्सर्जन को आधार बनाया जाता है। सरकार की तरफ से अधिकरण के
समक्ष पेश हुई एडिशनल सोलिस्टर जनरल पिंकी आनंद ने एनजीटी के प्रमुख न्यायाधीश
स्वतंत्र कुमार की पीठ के सामने अपनी दलील में कहा कि केवल 7 प्रतिशत वाहन दस वर्ष
या उससे अधिक पुराने हैं जबकि 93 प्रतिशत वाहन दस वर्ष से कम पुराने है। इस पर पीठ
ने कहा “ आप अपने विचार हमारे सामने रखिए, हम इस पर विचार-विमर्श कर उचित आदेश
देंगे, हम इस मामले की समीक्षा करेंगे।
सुश्री आनंद ने आईआईटी दिल्ली द्वारा
प्रकाशित अनुसंधान पत्रों का हवाला देते हुये कहा कि 10 वर्ष से पुराने सभी वाहनों
का प्रदूषण में योगदान नगण्य है। सरकार की तरफ से कहा गया है कि दिल्ली में प्रदूषण
के लिये वाहनों की उम्र को ही एक कारक नहीं माना जाना चाहिये । राजधानी में प्रदूषण
के और भी कई कारण है। मंत्रालय ने कहा है कि दिल्ली में निजी वाहन मालिकों की बड़ी
संख्या है और ऎसे में यदि पेट्रोल के 15 वर्ष पुराने और डीजल के 10 साल पुराने
वाहनों पर प्रतिबंध लगा दिया गया तो इसका खामियाजा जनता को ही भुगतना पड़ेगा।
मंत्रालय का कहना है कि जनता अपने वाहनों को बदलने की स्थिति में नहीं है और ऎसे
में उसके जीवन और जीवन स्तर पर प्रभाव पड़ेगा ।अपील में यह भी कहा गया है कि सरकार
के कई महत्वपूर्ण विभागों में भी 10 से 15 साल पुराने वाहन है।