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लोकायुक्त के बेटे के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज

बयान में कृष्णमूर्ति ने कहा है कि 4 मई को लोकायुक्त कार्यालय में उसने कृष्णा राव नाम के जिस व्यक्ति से मुलाकात की थी वह अश्विन राव ही था

Jul 01, 2015 / 11:02 pm

मंजूर अहमद

The son of Lokayukta, Corruption

File Photo

बेंगलूरु. तेजी से बदले घटनाक्रम में बुधवार को हाईकोर्ट के इस मामले में उपलोकायुक्त के आदेश पर आंतरिक जांच पर रोक लगाने के कुछ ही देर पहले लोकायुक्त पुलिस ने लोकायुक्त जस्टिस राव के बेटे अश्विन के खिलाफ बेंगलूरु शहरी जिला पंचायत के कार्यकारी अभियंता एम एन कृष्णमूर्ति के बयान के आधार पर प्राथमिकी दर्ज कर ली। इस मामले की शुरूआत कृष्णमूर्ति के लोकायुक्त पुलिस अधीक्षक सोनिया नारंग के पास शिकायत करने के साथ हुई थी लेकिन इस मामले में अब तक कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं हुई थी जिसके कारण कानूनी तौर पर मामले की जांच रफ्तार नहीं पकड़ पा रही थी।

अश्विनी ही कृष्णा राव

बुधवार को लोकायुक्त पुलिस को दिए गए लिखित बयान में कृष्णमूर्ति ने अश्विन राव को ही आरोपी कृष्णा राव के तौर पर पहचान की है। कृष्णा राव ने ही कृष्णमूर्ति को फोन कर लोकायुक्त छापा रूकवाने के लिए एक करोड़ रुपए की मांग की थी। बयान में कृष्णमूर्ति ने कहा है कि 4 मई को लोकायुक्त कार्यालय में उसने कृष्णा राव नाम के जिस व्यक्ति से मुलाकात की थी वह अश्विन राव ही था। बयान में कृष्णमूर्ति ने कहा है कि कुछ चैनलों पर अश्विन राव की फोटो दिखाए जाने के बाद उसने उसे पहचाना।

कृष्णमूर्ति के बयान के आधार लोकायुक्त पुलिस ने अश्विन राव के खिलाफ स्वत: संज्ञान से भ्रष्टाचार निरोधक कानून की धारा 8 और भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है।
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश के कारण बिना प्राथमिकी दर्ज हुए इस मामले की जांच में दिक्कत आ रही थी।

बढ़ी कानूनी उलझन
हाईकोर्ट के आदेश और अश्विन के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज होने के कारण इस मसले को लेकर उलझन बढ़ गई है। नारंग ने कहा कि इस मामले को लेकर दो राय बन रही है। एक राय यह है कि यह शिकायत जस्टिस अडि के आदेश के तहत चल रही आंतरिक जांच का हिस्सा है, जिस पर हाईकोर्ट ने दोपहर में रोक लगा दी। जबकि दूसरी राय है कि हाईकोर्ट ने जस्टिस अडि के आंतरिक जांच संबंधी आदेश पर रोक लगाई है, प्राथमिकी पर नहीं, लिहाजा हम जांच जारी रख सकते हैं। उन्होंने कहा कि हमने इस मामले में लोकायुक्त विधिक प्रकोष्ठ से राय मांगी है और उसके बाद ही आगे बढ़ेंगे।

गौरतलब है कि 11 मई को नारंग ने इस मामले में लोकायुक्त रजिस्टार को रिपोर्ट भेजी थी। इसके कुछ ही दिनों बाद जस्टिस अडि ने एक गैर सरकारी संगठन की शिकायत पर नारंग को जांच करने का निर्देश दिया था लेकिन पिछले सप्ताह लोकायुक्त ने मामले की जांच बेंगलूरु पुलिस की केंद्रीय अपराध शाखा को सौंपने की घोषणा की थी लेकिन जिस अधिकारी को जांच सौंपी गई थी उसके समर्थता जताने के बाद लोकायुक्त राव ने सरकार से जांच केे लिए एसआईटी बनाने की सिफारिश की थी। सरकार ने मंगलवार को ही एसआईटी गठित करने का आदेश जारी किया था।

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