नई दिल्ली. देश में अब 30 साल से ज्यादा उम्र होने पर कानून की पढ़ाई नहीं की जा सकेगी। बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) ने अधिकतम उम्र में कटौती करने का फैसला किया है। इस संबंध में सर्कुलर जारी किया गया है। इसके मुताबिक पांच साल के इंटीग्रेटेड कोर्स में दाखिला लेने की अधिकतम उम्र घटाकर 20 साल की जा रही है। तीन साल के डिग्री कोर्स में अधिकतम 30 साल की आयु वालों को दाखिला मिलेगा। इससे ज्यादा उम्र होने पर आवेदन नहीं किया जा सकेगा।
बार काउंसिल ने सभी कॉलेजों को सर्कुलर भेजा है। दरअसल, हाल में मद्रास हाईकोर्ट ने अधिकतम उम्र सीमा में कटौती का आदेश दिया था। इस आदेश को लागू करते हुए बार काउंसिल ने ऐसा फैसला लिया है। काउंसिल ने नियमों का हवाला देते हुए कहा कि लीगल एजुकेशन रूल्स 2008 के क्लॉस 28 के अनुसार, अधिकतम आयु 30 से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। गौरतलब है दस दिन पहले बीसीआई ने अधिकारियों के साथ अहम बैठक की थी। इसमें राज्यों को दाखिले की आयु पर फैसला लेने का निर्णय लेने की छूट दी गई थी। लेकिन राज्यों ने अपने कॉलेजों के दाखिले के नियमों में आयु को लेकर स्पष्ट जानकारी नहीं दी थी। इसके बाद बीसीआई ने सर्कुलर निकाल नियम लागू करने के लिए कहा है। एक अधिकारी कहते हैं कि कॉलेजों द्वारा मनमानी करना सही नहीं है।
कई जगहों पर दाखिले हो चुके, छात्रों में उलझन
यह आदेश ऐसे समय में आया जब कई राज्यों के कॉलेजों में दाखिला प्रक्रिया पूरी हो चुकी है तो कहीं जारी है। ऐसे में कॉलेज और छात्र उलझन में हैं। उन्हें समझ में नहीं आ रहा है कि अब वो क्या करें। महाराष्ट्र के लॉ कॉलेज की एक शिक्षिका कहती हैं कि जो दाखिले किए जा रहे हैं उनमें से 40 फीसदी बीसीआई के ताजा आदेश के खिलाफ हैं। वो सवाल करती हैं कि अगर 90 साल की उम्र में भी कोई कोर्ट में प्रैक्टिस कर सकता है तो युवाओं के कानून की पढ़ाई के लिए उम्र सीमा क्यों घटनी चाहिए? उधर, बीसीआई के वरिष्ठ अधिकारी सतीश देशमुख कहते हैं कि काउंसिल कभी भी नियमों में ढिलाई के पक्ष में नहीं रहा है। अगर कोई कॉलेज इसका पालन नहीं करता है तो दाखिले के चार माह बाद सभी जगह निरीक्षण किया जाएगा। उल्लंघन करने पर कॉलेजों पर कार्रवाई होगी।