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नोटबंदी: भारत के सबसे अमीर राज्य का कृषि बाजार लडख़ड़ाया

Published: Nov 28, 2016 02:18:00 pm

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पीएम नरेन्द्र मोदी की ओर नोटबंदी की घोषणा के बाद देश के कृषि बाजार में भारी गिरावट देखने को मिली है।

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मुंबई। पीएम नरेन्द्र मोदी की ओर नोटबंदी की घोषणा के बाद देश के कृषि बाजार में भारी गिरावट देखने को मिली है। मुंबई से करीब 350 किमी. दूर पथार्डी में कृषि का व्यापार 60 प्रतिशत तक गिर गया है।

महाराष्ट्र की पथार्डी मंडी झेल रही है भारी नुकसान

महाराष्ट्र जिसे देश के सबसे अमीर राज्यों में से एक समझा जाता है। दो साल से ये सूखे की मार झेल रहा था और अब नोटबंदी ने यहां के कृषि बाजार को काफी हद तक प्रभावित कर दिया है। पथार्डी की कृषि उत्पादन बाजार समिति देश के 2,500 कृषि मंडियों के रूप में कार्यरत है। इन सभी मंडियो में व्यापार प्रमुख रूप से नकद राशि में ही होता है। इस कृषि बाजार में नोटबंदी के बाद भारी नुकसान देखा गया है। इससे किसानों, व्यापारियों और भारतीय कृषि अर्थव्यवस्था पर भी प्रभाव पड़ा है।

मंडी के किसान बैंकिंग सुविधाएं से हैं बहुत दूर

पथार्डी बाजार में लदकर आने वाले वाहनों में भी 75 प्रतिशत की कमी आई है। मंडी में पहुंचने वाले कपास की मात्रा 80 फीसदी तक गिर गई है। यहां पर मवेशियों की बिक्री भी 50 प्रतिशत तक गिर गई है। नोटबंदी से एक सप्ताह पहले के आंकडों की नोटबंदी के बाद की बिक्री से तुलना की गई। इस मंडी में पहुंचने वाले किसानों को नोटबंदी के बाद सबसे ज्यादा परेशानी हो रही है। ये गरीब किसान बैंकिंग सुविधाओं से बहुत दूर हैं।

नुकसान झेलकर बेच रहे हैं अपनी फसलें

50 साल के कपास किसान भीमसेन महादेव घुग्गे ने बताया कि नोटबंदी के बाद उन्होंने 15 प्रतिशत का नुकसान झेला है। भीमसेन पुराने नोट लेकर कपास का सौदा नहीं करना चाहते थे। इस वजह से उन्हे अपनी फसल 4,200 रुपए प्रति क्विंटल कीमत पर बेचना पड़ा जबकि कपास की कीमत इस समय 5,000 रुपए प्रति क्विंटल चल रही है। किसान ने बताया कि मुझे अपने परिवार का खर्चा और अपने मजदूर को दिहाड़ी 100 रुपए के नोटों में ही देना पड़ता है। इस वजह से मुझे नुकसान उठाना पड़ा।

कपास की बिक्री 20 लाख रुपए प्रतिदिन तक गिरी

पथार्डी बाजार में मवेशी भी पुराने नोट और 2000 रुपए के नए नोट में बेचे जा रहे हैं। मगर किसान 2000 रुपए का नोट लेना पसंद नहीं कर रहे क्योंकि उनको चिंता है कि उन्हे इसका खुल्ला कौन देगा? शुरुआत में कुछ लोगों ने पुराने नोट भी स्वीकार किए थे लेकिन बाद में ज्यादा रकम जमा करवाने के डर से पुराने नोट स्वीकारना बंद कर दिया। नोटबंदी से पहले जहां पथार्डी मंडी में रोजाना 50 लाख रुपए के कपास का लेन-देन होता था। वहीं नोटबंदी के बाद अब ये लेन-देन 30 लाख रुपए प्रतिदिन तक सिमट गया है। 
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