script‘अगर बाबा अंबेडकर नहीं होते तो आज नरेन्द्र मोदी कहां होते’ | BR Ambedkar was a victim of 'political untouchability': Narendra Modi | Patrika News

‘अगर बाबा अंबेडकर नहीं होते तो आज नरेन्द्र मोदी कहां होते’

Published: Apr 21, 2015 12:40:00 am

प्रधानमंत्री ने कहा कि बाबा साहेब का स्मारक बनाकर सरकार को अहसान नहीं कर रही है बल्कि समाज अपना कर्ज लौटा रहा है

Bheemrav Ambedkar

Bheemrav Ambedkar

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछली सरकारों पर बाबा साहेब भीम राव अम्बेडकर की विरासत को भुलाने का आरोप लगाते हुए सोमवार कहा कि उनके विचारों और शिक्षाओं को दुनिया भर में पहुंचाने और फैलाने में कोई कसर नहीं छोड़ी जाएगी। मोदी ने यहां डॉ. अम्बेडकर अंतर्राष्ट्रीय केंद्र के भवन का शिलान्यास करते हुए कहा कि भारत का लोकतंत्र और संघीय ढांचा वास्तव में बाबा साहेब की ऊंची सोच का परिणाम है। उन्होंने संविधान में ऎसी बातों का प्रावधान किया है जिनके बारे में उस समय सोच पाना भी मुश्किल था लेकिन ये आज की समस्याओं का समाधान है।

भारतीय चुनाव आयोग और वित्त आयोग का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि ये संघीय ढांचे को मजबूती देने वाले स्तंभ है और ये बाबा साहेब की दूरगामी सोच का नतीजा है। मोदी ने डॉ. अम्बेडकर के नाम पर स्मारक नहीं बनने पर अफसोस व्यक्त किया और बिना किसी का नाम लिए बगैर कहा, “उन लोगों ने अम्बेडकर को पढ़ा भी नहीं है तो गले कैसे लगा लेते।” उन्होंने खुद के प्रधानमंत्री पद तक पहुंचने का श्रेय डॉ. अम्बेडकर को देते हुए कहा कि यह उनके द्वारा बनाए गए संविधान की बदौलत ही संभव हुआ है अन्यथा आज नरेंद्र मोदी कहां होता।”

प्रधानमंत्री ने कहा कि बाबा साहेब का स्मारक बनाकर सरकार को अहसान नहीं कर रही है बल्कि समाज अपना कर्ज लौटा रहा है। अंतर्राष्ट्रीय केंद्र की संकल्पना वर्ष 1992 में की गई थी लेकिन इसके बाद 20 साल बरबाद कर दिए गए। नई सरकार ने इसके निर्माण को हाथ में लिया है और अगले 20 महीनों में अंतर्राष्ट्रीय केंद्र काम करना शुरू कर देगा। इसके निर्माण में 192 करोड़ रूपए की लागत आएगी। उन्होंने कहा कि बाबा साहेब के वास्तविक स्वरूप को दुनिया के सामने रखने की जरूरत है। वह न केवल दलितों, शोषितों और वंचितों के नेता थे बल्कि पूरी मानव जाति के नेता था।

भारत में महिलाओं को मतदान का अधिकार देने का श्रेय डा. अम्बेडकर को देते हुए मोदी ने कहा कि जब दुनिया के कथित बड़े लोकतांत्रिक देशों में महिलाओं को मतदान का अधिकार नहीं था और उसके लिए संघर्ष किए जा रहे तो उन्होंने एक झटके से महिलाओं को अधिकार दिए थे। उनको सीमित दायरे में नहीं बांधना चाहिए। मोदी ने कहा कि भारत में मजदूरों के काम के आठ घंटे तय करने का श्रेय भी डा. अम्बेडकर को जाता है।

वर्ष 1942 में उन्हीं के प्रयासों से यह संभव हुआ था। उन्होंने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय केंद्र डा. अम्बेडकर के विचारों और शिक्षाओं के प्रचार प्रसार का बड़ा केंद्र बनेगा। इससे पहले सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री थावरचंद गेहलोत ने कहा कि सरकार डा. अम्बेडकर से संबंधित स्थानों और वस्तुओं को संग्रहण एवं संरक्षण कर रही है। लंदन के एक मकान को भी खरीदने के प्रयास किए जा रहे है। इस मकान बाबा साहेब अपनी शिक्षा के दौरान रहे थे। 
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