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चीन बना रोड़ा, ब्रिक्स में जैश का मुद्दा नहीं उठा सका भारत

घोषणापत्र में ब्रिक्स के सदस्य देशों के बीच आतंकी संगठन लश्कर और जैश के जिक्र पर आम सहमति नहीं बन सकी

Oct 17, 2016 / 09:52 am

सुनील शर्मा

pm meets with bricks leaders

pm meets with bricks leaders

पणजी। गोवा के पणजी में रविवार को आठवें ब्रिक्स सम्मेलन का समापन हुआ। इस मौके पर चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने भारत के साथ एकजुटता दिखाते हुए अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद से मुकाबले के लिए व्यापक रणनीति पर जोर दिया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पाकिस्तान पर परोक्ष रूप से निशाना साधते हुए उसे आतंकवाद की जन्मभूमि करार दिया। हालांकि चीन के कारण मोदी की रणनीति पूरी तरीके से कामयाब नहीं हो पाई और ब्रिक्स के सदस्य देशों में आतंकी समूहों के जिक्र को लेकर आम सहमति नहीं बन पाई। इसके पीछे मुख्य वजह चीन को माना गया। एक बार फिर से चीन ने भारत की कोशिशों पर पानी फेर दिया।

चीन की मौजूदगी में सीमा पार आतंकवाद का मुद्दा ठंडे बस्ते में ही जाना था, लेकिन भारत को उम्मीद थी कि भारत में सक्रिय लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद जैसे आंतकी संगठनों का जिक्र किया जाएगा। समिट सैक्रेटरी (इकनॉमिक रिलेशंस) और इंडिया ब्रिक्स टीम की अगुवाई कर रहे अमर सिन्हा ने बताया घोषणापत्र में ब्रिक्स देशों के बीच इन आतंकी संगठनों के जिक्र पर आम सहमति नहीं बन सकी।

आईएस और नुसरा का घोषणा-पत्र में जिक्र

सिन्हा ने कहा पाकिस्तान में जड़ जमाए इन आंतकी संगठनों का निशाना भारत है, इसलिए ब्रिक्स के दूसरे देशों के लिए चिंता की बात नहीं है, लेकिन हम इससे प्रभावित होते हैं। यह भारत के लिए निराशाजनक रहा क्योंकि अंतरराष्ट्रीय आतंकी समूहों जैसे इस्लामिक स्टेट और जबात-अल-नुसरा का घोषणापत्र में जिक्र किया गया।

गोवा घोषणा पत्र में सीमा पार आतंकवाद जुमले का जिक्र नहीं गयाए लेकिन ब्रिक्स के 4 अन्य सदस्यों. रूसए चीनए ब्राजील और साउथ अफ्रीका ने कड़े शब्दों में उरी आतंकी हमले की निंदा की। इन देशों ने द्विपक्षीय और अंतरराष्ट्रीयए दोनों स्तरों पर आतंकवाद के खिलाफ पार्टनरशिप को मजबूत करने पर सहमति जताई।

केवल आतंक की निंदा

ब्रिक्स सम्मेलन के अंत में जारी घोषणा पत्र में कहा गया हम हाल में भारत समेत कुछ ब्रिक्स देशों में हुए हमले की कड़ी निंदा करते हैं। हम हर तरह के आंतकवाद का पुरजोर विरोध करते हैं और सैद्धांतिक, धार्मिक, राजनीतिक, नस्लीय और किसी भी अन्य वजहों से की गई किसी भी तरह की आतंकवादी गतिविधियों को उचित नहीं ठहराया जा सकता।

हमने अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद से मुकाबले के लिए द्विपक्षीय और अंतरराष्ट्रीय दोनों स्तरों पर सहयोग मजबूत करने पर सहमति जताई है। गोवा में पहुंचे ब्रिक्स नेताओं ने भारत में हुए आतंकी हमलों समेत तमाम ऐसी गतिविधियों की भारी निंदा की। माना जा रहा है कि ब्रिक्स नेताओं ने तमाम देशों से अपनी जमीन पर आतंकवादी गतिविधियां रोकने का आह्वान किया है। गोवा घोषणा पत्र में आतंकवाद शब्द का 38 बार जिक्र हुआ।

घोषणा-पत्र में आतंक का बढ़ता खतरा शामिल

भारत घोषणा पत्र में आतंक के बढ़ते खतरे के कॉन्सेप्ट को शामिल करवाने में सफल रहा। उन्होंने कहा मैसेज साफ है और हर शब्द को रेखांकित करने की जरूरत नहीं है। पाकिस्तान में मौजूद आतंकी संगठनों के खतरे को लेकर ग्लोबल स्तर पर अहसास है। कुछ जुमलों को शामिल नहीं किया जाना आतंकवाद को कम कर आंकने का मामला नहीं है। हमने कॉन्सेप्ट को आगे बढ़ाने की कोशिश की और हम सफल रहे। दरअसल पाकिस्तान के साथ रिश्तों के कारण चीन भी सीमा पार आतंकवाद जैसे जुमले को लेकर सहज नहीं है।

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