113 बटालियन के असिस्टेंट कमांडेन्ट अनुभव अत्रे, जो नेशनल जियोग्राफी चैनल की एक डॉक्युमेंट्री का हिस्सा रह चुके हैं। एक नागरिक की हत्या के जुर्म में कोर्ट मार्शल का सामना कर रहे हैं। घटना पिछले साल 14 मई का है, जब अनुभव वेस्ट बंगाल के कृष्णगंज गांव की बानपुर चौकी में तैनात थे।
नई दिल्ली। सम्मान की बुलंदियों को छू चुके भारतीय सीमा रक्षक बीएसफ कमांडो अनुभव अत्रे को सिविलियन की मौत के कारण अब खासी परेशानी से होकर गुजरना पड़ रहा है।
पिछले साल की घटना
113 बटालियन के असिस्टेंट कमांडेन्ट अनुभव अत्रे, जो नेशनल जियोग्राफी चैनल की एक डॉक्युमेंट्री का हिस्सा रह चुके हैं। एक नागरिक की हत्या के जुर्म में कोर्ट मार्शल का सामना कर रहे हैं। घटना पिछले साल 14 मई का है, जब अनुभव वेस्ट बंगाल के कृष्णगंज गांव की बानपुर चौकी में तैनात थे।
ऐसे घटी घटना
सूत्रों के मुताबिक 13 मई की रात इंटेलिजेंस ब्रांच से सूचना मिली थी कि इंडो-बांग्ला बार्डर पर सोने की तस्करी होने वाली है। सूचना मिलते ही अनुभव सात लोगों की टीम के साथ मौके पर पहुंचे। उनके बयान के मुताबिक वहां 12-15 तस्कर थे, जो सोने के दो पैकेट के साथ भारतीय सीमा में घुसने का प्रयास कर रहे थे। इनमें से 10 के पास हथियार थे। 10 बजे के करीब बीएसएफ का एक कॉन्स्टेबल बिना किसी हथियार के उन्हें पकडऩे के लिए बढ़ा। बताया जा रहा है कि इस दौरान कॉन्सटेबल को लगा कि तस्कर बंगाली में बात कर रहे हैं कॉन्स्टेबल को बांग्लादेश सीमा में ले आओ।
तस्करी की मिली थी सूचना
तभी अचानक उस ओर से आवाज आई कि ‘मार’ तभी अफसर को लगा उसके साथी कॉन्सटेबल की जान खतरे में है। जिस पर उसके हवाई फायर कर दिया। जबकि दूसरी बार उसने कमर के नीचे निशाना साधा, जिससे एक बांग्लादेशी लड़के की मौत हो गई। गोली चलने की आवाज से तस्कर भाग खड़े हुए , लेकिन बाद में अनुभव को बताया गया कि उनसे एक नागरिक की मौत हो गई।
मेजर गोगोई भी फंसे थे ऐसे मामले में
कई अफसर अत्रे और मेजर गोगोई के मामलों की तुलना कर रहे हैं। आर्मी के 53 राष्ट्रीय रायफल्स ब्रांच के लेतुल गोगोई भी एक विवाद में फंसे थे. उन्होंने पत्थरबाजों से बचने के लिए कश्मीर में एक आदमी को अपनी जीप के आगे बांध लिया था। लेकिन बाद में उन्हें आर्मी चीफ का समर्थन मिल गया।
फंस गए अनुभव
घटना के बाद दोनों तरफ की सेनाओं ने एक बैठक की। बैठक में बीजीबी अफसर अनुभव की बातों और तर्कों से संतुष्ट नजर आए। लेकिन बांग्लादेशी मीडिया और लोगों की बातों ने अनुभव को फंसा दिया। कोर्ट की टिप्पणी है कि जवान ने गलत प्लानिंग की थी।