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सरोगेसी बिल को कैबिनेट की मंजूरी, अब विदेशियों को नहीं मिलेगी किराए की कोख

Published: Aug 24, 2016 06:38:00 pm

केन्द्रीय कैबिनेट ने सरोगेसी नियमन विधेयक को मंजूरी दे दी है। इसके तहत भारतीय नागरिकों को सरोगेसी का अधिकार होगा, लेकिन यह अधिकार एनआरआई और ओसीआई होल्डर के पास नहीं होगा।

Sushma Swaraj

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नई दिल्ली। केन्द्रीय कैबिनेट ने बुधवार को सरोगेसी नियमन विधेयक को मंजूरी दे दी है। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने कहा कि सरोगेसी विधेयक इसलिए लाया गया है, क्योंकि भारत लोगों के सरोगेसी हब बन गया था और अनैतिक सरोगेसी की घटनाएं सामने आती रहती हैं। उन्होंने कहा कि सिर्फ भारतीय नागरिकों को सरोगेसी का अधिकार होगा, यह अधिकार एनआरआई और ओसीआई होल्डर के पास नहीं होगा।

सुषमा स्वराज ने जानकारी दी कि केंद्र पर नेशनल सरोगेसी बोर्ड, राज्य और केंद्र शासित प्रदेश स्तर तक स्टेट सरोगेसी बोर्ड का गठन किया जाएगा। बिल कमर्शियल सरोगेसी पर रोक लगाने और निःसंतान दंपती को नीतिपरक सरोगेसी की इजाजत देने के लिए लाया गया है। विदेश मंत्री ने कहा कि बड़े सितारे जिनके न सिर्फ दो बच्चे हैं, बल्कि एक बेटा और बेटी भी है, वे भी सरोगेसी का सहारा लेते हैं। सिंगल पैरंट्स, होमोसेक्सुअल कपल, लिव-इन में रहने वालों को सरोगेसी की इजाजत नहीं दी जाएगी।

सरोगेसी के लिए दंपति को कम से कम दो साल शादीशुदा होना जरूरी है। सरकार इस बिल के जरिए देश में सरोगेसी को रेग्यूलेट करने के लिए एक नया कानूनी ढांचा तैयार करना चाहती है। ड्राफ्ट बिल में एक बोर्ड के गठन का प्रस्ताव है जो क्लिनिक को रेग्यूलेट और जांच करेगी। ड्राफ्ट बिल में कमर्शियल सरोगेसी पर रोक लगाने का प्रावधान शामिल किया गया है। सिर्फ उन्हीं मामलों में सरोगेसी को मंजूरी दी जाएगी, जिसमें इनफर्टिलिटी को साबित किया जाएगा।

क्या है सरोगेसी
सरोगेसी एक महिला और एक दंपति के बीच का एक एग्रीमेंट है, जो अपना खुद का बच्चा चाहता है। सामान्य शब्दों में सरोगेसी का मतलब है कि बच्चे के जन्म तक एक महिला की ‘किराए की कोख’। आमतौर पर सरोगेसी की मदद तब ली जाती है जब किसी दंपति को बच्चे को जन्‍म देने में कठिनाई आ रही हो। बार-बार गर्भपत हो रहा हो या फिर बार-बार आईवीएफ तकनीक फेल हो रही है, जो महिला किसी और दंपति के बच्चे को अपनी कोख से जन्‍म देने को तैयार हो जाती है उसे ‘सरोगेट मदर’ कहा जाता है।

कहां से मिलती है सरोगेट मदर
सरोगेसी कुछ विशेष एजेंसी द्वारा उपलब्ध करवाई जाती है। इन एजेंजिस को आर्ट क्लीनिक कहा जाता है, जो कि इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च की गाइडलाइंस फॉलो करती है। सरोगेसी का एक एग्रीमेंट बनवाया जाता है, जिसे दो अजनबियों से हस्ताक्षर करवाएं जाते हैं जो कभी नहीं मिले। सरोगेट परिवार का सदस्य या दोस्त भी हो सकता है।

सरोगेसी के लिए भारत क्यों है पॉपुलर
भारत में किराए की कोख लेने का खर्चा यानी सरोगेसी का खर्चा अन्य देशों से कई गुना कम है और साथ ही भारत में ऐसी बहुत सी महिलाएं उपलब्ध हैं, जो सरोगेट मदर बनने को आसानी से तैयार हो जाती हैं। गर्भवती होने से लेकर डिलीवरी तक महिलाओं की अच्छी तरह से देखभाल तो होती ही है साथ ही उन्हें अच्छी खासी रकम भी दी जाती है।

हर साल भारत में 2000 विदेशी बच्चों का जन्म
लॉ कमीशन के मुताबिक सरोगेसी को लेकर विदेशी दंपत्तियों के लिए भारत एक पसंदीदा देश बन चुका है। डिपार्टमेन्ट ऑफ हेल्थ रिसर्च को भेजे गए दो स्वतंत्र अध्ययनों के मुताबिक हर साल भारत में 2000 विदेशी बच्चों का जन्म होता है, जिनकी सरोगेट मां भारतीय होती हैं। देश भर में करीब 3,000 क्लीनिक विदेशी सरोगेसी सर्विस मुहैया करा रहे हैं।
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