देश के पूर्वोत्तर सहित विभिन्न हिस्सों में भीषण बाढ़ से मच रही तबाही के बीच नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने बाढ़ की पूर्वानुमान प्रणालियों में गंभीर खामियों की ओर इशारा किया है।
नई दिल्ली। देश के पूर्वोत्तर सहित विभिन्न हिस्सों में भीषण बाढ़ से मच रही तबाही के बीच नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने बाढ़ की पूर्वानुमान प्रणालियों में गंभीर खामियों की ओर इशारा किया है। बाढ़ नियंत्रण और पूर्वानुमान प्रणाली पर संसद में पेश अपनी रिपोर्ट में कैग ने कहा है कि जो प्रणालियां बाढ़ के खतरों के प्रति सचेत करने के लिए बनाई गई है उनमें बड़ी खामियां हैं। इस कारण खतरे का सही अंदाजा नहीं लग पाता और बड़े पैमाने पर जान-माल की हानि हो जाती है।
उत्तराखंड आपदा का किया उल्लेख
रिपोर्ट के अनुसार, इन खामियों में चेतावनी तथा खतरा स्तर का गलत निर्धारण, बाढ़ पूर्वानुमान स्टेशनों की अपर्याप्त संख्या, हस्तचालित जल स्तर मापक तथा टेलीमेट्री बबलर द्वारा गलत आंकडे देना जैसी बातें शामिल हैं। रिपोर्ट में खतरा स्तर के गलत निर्धारण के सदंर्भ में उत्तराखंड में कुछ साल पहले आई आपदा का उल्लेख करते हुए कहा गया है कि राज्य के श्रीनगर में अलकनंदा नदी के जलस्तर के लिए खतरे का जो निशान निर्धारित किया गया था, वह 539-540 मीटर था जबकि नदी का पानी 537.90 मीटर के स्तर पर पहुंचते ही बाढ़ आ गई थी। ऐसे में चेतावनी स्तर को बाद में घटाकर क्रमश: 535-536 मीटर पर लाया गया।
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पूर्वानुमान स्टेशनों की संख्या भी कम
जम्मू कश्मीर तथा पश्चिम बंगाल में कई ऐसी नदियां होने के बावजूद जहां हर साल बाढ़ आती है, पूर्वानुमान स्टेशनों की संख्या निर्धारित संख्या से काफी कम पाई गई। इन स्थानों पर जलस्तर मापक स्वचालित टेलीमेट्री उपकरणों की कमी का जिक्र भी रिपोर्ट में किया गया है। रिपोर्ट के अनुसार, असम में नाहरकटिया में टेलीमेट्री बबलर या हस्तचरलित जलस्तर मापक मुख्य प्रवाह से 100 मीटर दूर पाए गए, जिससे ब्रह्मपुत्र नदी के सही जलस्तर का पता लगाना संभव नहीं था।
बांधों में जलस्तर बढऩे से भी आ रही बाढ़
कैग ने कहा है कि जलाशयों एवं बांधों में जलस्तर सुरक्षित सीमा तक नहीं बनाए रखने से भी बाढ़ का खतरा पैदा हुआ। इस संदर्भ में ओडिशा के हीराकुंड बांध का उल्लेख करते हुए कहा गया है कि 9 सितंबर 2011 को यहां जलस्तर 628.50 मीटर पर पहुंच गया था। समय रहते सभी जल द्वार नहीं खोले जाने से बांध के निचले क्षेत्रों में बसे 13 जिलों में बाढ़ आ गई और दो हजार करोड़ रुपए से अधिक की धन जन की हानि हुई।
पर्याप्त टेलीमेट्री स्टेशन खोलने की सिफारिश
रिपोर्ट में बाढ़ के खतरों और हानि से बचने के लिए की गई सिफारिशों में जरुरत के हिसाब से पर्याप्त टेलीमेट्री स्टेशन खोलने तथा उन्हें दुरुस्त रखने और चेतावनी एवं खतरे का स्तर ठीक से निर्धारित हैं या नहीं, इसकी जांच कर बाढ़ पूर्वानुमान सही प्रकार से और सही समय पर जारी करने को कहा गया है।