शुक्रवार को संसद में कैग ने अपनी रिपोर्ट में ये खुलासा किया है। कैग के अनुसार इसके लिए जिम्मेदार राज्य सरकार या संस्थाओं ने लगातार लापरवाही बरती है
नई दिल्ली: शिक्षा के अधिकार के प्रावधानों को लागू करने के लिए हर साल केंद्र सरकार के आगे धन की कमी का रोना रोने वाले राज्य 87000 करोड़ रुपए की राशि खर्च ही नहीं कर सके। कानून बनने के बाद पहले छह वर्षों में भी इसके अनुपालन में लापरवाही का खामियाजा देश के 6-14 वर्ष के बच्चों को उठाना पड़ा है।
संसद में कैग की रिपोर्ट का खुलासा
शुक्रवार को संसद में कैग ने अपनी रिपोर्ट में ये खुलासा किया है। कैग के अनुसार इसके लिए जिम्मेदार राज्य सरकार या संस्थाओं ने लगातार लापरवाही बरती है। रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2010-11 से 2015-16 के बीच इसके इस्तेमाल में 21 से 41 फीसदी तक की कमी दर्ज की गई है।
बिहार में नहीं हुए 26 करोड़ रुपए खर्च
कैग के अनुसार सालों से शिक्षा के मामले में पिछड़े होने के बावजूद बिहार में इस दौरान 26,500 करोड़ रुपए की राशि रखी रह गई। अप्रैल 2010 में लागू शिक्षा के अधिकार कानून के तहत 6 से 14 वर्ष के बच्चों के लिए आठ वर्ष तक अनिवार्य शिक्षा का प्रावधान है।