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सामाजिक-आर्थिक जनगणना पेश, जातिगत आंकड़े अभी पेश नहीं

Published: Jul 03, 2015 02:05:00 pm

सरकार का कहना है कि इससे गरीबी के मूलभूत कारणों को पहचानने में मदद मिलेगी

jaitley-birender singh

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नई दिल्ली। केन्द्र सरकार ने शुक्रवार को आर्थिक-सामाजिक जाति जनगणना का डाटा जारी किया। केन्द्रीय वित्त मंत्री अरूण जेटली और केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्री चौधरी बीरेंदर सिंह ने दिल्ली में यह डाटा जारी किया। सरकार का कहना है कि इससे गरीबी के मूलभूत कारणों को पहचानने में मदद मिलेगी।

इस मौके पर वित्तमंत्री जेटली ने कहाकि, आर्थिक सामाजिक जाति जनगणना से घरेलू विकास का बेहतर डाटा मिलेगा। इससे सरकार को लोगों को लेकर नीतियां बनाने में आसानी होगी। जनगणना की मदद से गरीबी के कारणों की पहचान करने के बाद सरकार राष्ट्रीय आवास योजना, मनरेगा और इंदिरा आवास योजना जैसी योजनाओं को इस समस्या का सामना करने के लिए इस्तेमाल करेगी।

वहीं ग्रामीण विकास मंत्री बीरेंदर सिंह ने कहाकि, इस जनगणना के जरिए हमारे पास ग्रामीण परिवारों को लेकर विश्वसनीय डाटा होगा। हम एक विशाल विकास परिवर्तन की ओर हैं। ए क रिपोर्ट के अनुसार हर तीन में से एक ग्रामीण परिवार के पास कमाई का अनिश्चित जरिया है और एक कमरे के कच्चे घर में रहने को बाध्य हैं। 1931 के बाद पहली बार इस तरह की जनगणना की गई है और इसके तहत 24.39 करोड़ परिवारों से जानकारी ली गई है।

जनगणना की कुछ मोटी बातें: 
– आजादी के बाद पहली जातिगत जनगणना। इससे पहले 1932 में ऎसी जनगणना हुई थी।
– देश में केवल 4.6 प्रतिशत ग्रामीण परिवार ही आयकर देते हैं।
-20.69 प्रतिशत ग्रामीण परिवारों के पास ऑटोमोबाइल या मछली पकड़ने की नौका है।
-94 प्रतिशत ग्रामीण परिवारों के पास मकान है और इनमें से 54 फीसदी के पास 1-2 कमरों का मकान है।
-ग्रामीण क्षेत्रों के नौकरीशुदा लोगों में से पांच प्रतिशत के पास सरकारी नौकरी है जबकि 3.5 प्रतिशत परिवार प्राइवेट सेक्टर में हैं।
– कुल ग्रामीण जनसंख्या के 56 प्रतिशत लोग जमीन के मालिक नहीं है।
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