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धर्मांतरण पर एससी का दर्जा देने के खिलाफ है केंद्र सरकार

Published: Mar 30, 2015 12:02:00 pm

Submitted by:

Rakesh Mishra

कोर्ट ने कहा था कि यदि किसी की हिंदू धर्म में वापसी होती है तो उसे अनुसूचित जाति
(एससी) का माना जा सकता है

नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले का विरोध करने का फैसला किया है, जिसमें कोर्ट ने कहा था कि यदि किसी की हिंदू धर्म में वापसी होती है तो उसे अनुसूचित जाति (एससी) का माना जा सकता है।

सरकार का तर्क है कि संविधान में दलितों और आदिवासियों को आरक्षण इसलिए दिया जाता है, ताकि उनके साथ हुए सामाजिक अन्याय की भरपाई की जा सके और अगर इसका लाभ धर्मातरण करने वालों भी दिया जाने लगाए तो यह एससी और एसटी से संबंध रखने वाले लोगों के हितों पर कब्जा करने जैसा होगा। सामाजिक न्याय मंत्रालय ने केंद्रीय कानून मंत्रालय को विस्तृत रिपोर्ट देते हुए कहा है कि धमांüतरण करने वालों को एससी का दर्जा देने की मांग करने वाली याचिका का विरोध किया जाए।

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने एक आदेश जारी कर कहा है कि यदि किसी की हिंदू धर्म में वापसी होती है तो उसे अनुसूचित जाति (एससी) का माना जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि इसके लिए जरूरी है कि उसकी जाति के लोग उसे स्वीकार करें। वहीं हिंदू धर्म में वापसी करने वाल को यह भी साबित करना होगा कि उसके पूर्वज एससी जाति से संबंध रखते थे।

जस्टिस दीपक मिश्रा और जस्टिस वीण् गोपाल गौड़ा की खंडपीठ ने केरल निवासी याचिकाकर्ता केपी मनु के संबंध में कहा कि एक दलित, जिसके माता-पिता या दादा-दादी ईसाई धर्म अपना चुके हैं वह वापस हिंदू धर्म अपनाने पर अपना एससी का दर्जा कायम रख सकता है। अगर उसके समुदाय ने उसे जाति से बाहर किया होता तो बात अलग हो सकती थी। इसलिए वापस हिंदू धर्म स्वीकार करने के बाद उसकी जाति बहाल हो सकती है।

बेंच ने कहा था कि हमारी राय में जाति प्रमाण पत्र का लाभ पाने का दावा करने वाले व्यक्ति को तीन बातें साबित करनी जरूरी हैं। पहला, स्पष्ट प्रमाण होना चाहिए कि वह उस जाति से ताल्लुक रखता है, जिसे संविधान (अनुसूचित जाति) के आदेश, 1950 के तहत मान्यता दी गई थी। दूसरा, वह साबित करे कि मूल धर्म में फिर से धर्मातरण हुआ है, जिससे उसके माता-पिता और पुरानी पीढियां ताल्लुक रखती थीं। तीसरा, इस बात का सबूत होना चाहिए कि हिंदू धर्म में वापस आने वाले शख्स को उसके समुदाय ने स्वीकार कर लिया है।

गौरतलब है कि मनु का जन्म ईसाई के रूप में ही हुआ था, लेकिन बरसों पहले उनके दादा मूलत: हिंदू थे, जिन्होंने बाद में ईसाई धर्म स्वीकार किया था। मनु जब 24 साल के हुए तो उन्होंने फिर से विधिवत हिंदू धर्म अपनाया।
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