चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्त ल्यू कांग ने कहा कि हम हमले में प्रभावित परिवारों और घायलों के प्रति सहानुभूति और संवेदना व्यक्त करते हैं। हम हमलों से हैरान हैं।
नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर में उड़ी हमले के बाद चीन ने कहा है कि कश्मीर क्षेत्र में हिंसा में वृद्धि और बढ़ता गुस्सा चिंता का विषय है। भारत और पाकिस्तान को अपने मतभेद बातचीत के जरिए दूर करने चाहिए और साथ ही आतंकवाद के खिलाफ आपसी सहयोग को बढ़ाना चाहिए। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्त ल्यू कांग ने कहा कि हम हमले में प्रभावित परिवारों और घायलों के प्रति सहानुभूति और संवेदना व्यक्त करते हैं। हम हमलों से हैरान हैं।
ल्यू कांग ने संवाददाताओं से कहा कि हमने सामयिक खबरें देखी हैं। इस हमले से हम हतप्रभ हैं। संवाददाताओं ने उनसे भारत के इस आरोप के बारे में पूछा था कि हमले में पाकिस्तान स्थित आतंकी समूह जैश-ए-मुहम्मद संलिप्त है। इसके जवाब में ल्यू कांग ने कहा कि चीन हर तरह के आतंकवाद का विरोध करता है और उसकी कड़े शब्दों में निंदा करता है। हम कश्मीर के हालात को लेकर बढ़ते गुस्से के बारे में चिंतित हैं। उन्होंने कहा कि हमें उम्मीद है कि संबद्ध पक्ष अपने मतभेद दूर करने के लिए बातचीत और विचार विमर्श करेंगे तथा आतंकवाद से निपटने के लिए सहयोग बढ़ाएंगे। केवल इस तरीके से ही वह अपने क्षेत्र में शांति और सुरक्षा स्थापित कर सकते हैं।
यह पूछे जाने पर कि चीन, हिंसा में वृद्धि का 46 अरब डॉलर की चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा परियोजना पर असर किस तरह देखता है, ल्यू ने कहा कि इस गलियारे का निर्माण क्षेत्रीय देशों के विकास को आगे बढ़ाने के लिए किया जा रहा है। इस गलियारे से निर्बाध कामकाज सुनिश्चित करने के लिए सभी संबद्ध पक्षों के ठोस प्रयासों की जरूरत है। ल्यू ने कहा कि साथ ही मैं इस बात पर भी जोर देना चाहूंगा कि हाल ही में इस क्षेत्र में, खास कर कश्मीर में तनाव में कुछ वृद्धि हुई है।
उन्होंने कहा कि हमें उम्मीद है कि सभी संबद्ध पक्ष मिल कर काम कर सकते हैं और शांतिपूर्ण बातचीत के जरिये इन मतभेदों को दूर करने के लिए प्रतिबद्ध रहें तथा क्षेत्र में शांति और स्थिरता संयुक्त रूप से बनाए रखें। यह अंतिम विश्लेषण लाभकारी होगा और चीन, भारत, पाकिस्तान तथा सभी क्षेत्रीय देशों के लिए फायदेमंद होगा।
ज्ञात हो कि चीनी राजनायिक यंग जेची ने भारत की एनएसजी सदस्यता और मौलाना अजहर मसूद के प्रतिबंध के मुद्दे को लेकर चीनी राष्ट्रपति को चिट्ठी लिखी है। पत्र में कहा गया है कि अगर चीन, भारत के खिलाफ नरम रवैया नहीं अपनाता है तो उस भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है। खासतौर से चीनी स्मार्टफोन कंपनियों की निर्माण व बिक्री प्रभावित हो सकती है। वहीं चीनी राजदूत ने चीन -पाकिस्तन कॉरीडोर का जिक्र किया है।