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राष्ट्र होने और सांस्कृतिक एकरूपता की वजह से नेपाल में भारत का प्रभाव हमेशा चीन
से ज्यादा रहा है। चीन को यह बात हमेशा खलती रही है और यही वजह है कि वह नेपाल में
अपना प्रभाव बढ़ाने का कोई मौका चूकना नहीं चाहता। नेपाल में माओवाद को बढ़ावा देने
के पीछे भी चीन का बड़ा हाथ रहा है लेकिन उसकी यह चाल कामयाब नहीं हो पाई लिहाजा वह
अब नए मौकों की तलाश में है। भूकंप की त्रासदी ने उसे नेपाल से निकटता बढ़ाने का
मौका दिया है। भूकंप की खबर आने के चंद घंटों के भीतर ही चीन ने बड़ी संख्या में
अपने राहतकर्मी और बचाव दल के साथ दवाइयां,तबूं और खोजी कुत्ते नेपाल रवाना कर दिए
थे। हालांकि इससे पहले भारत ने मदद का हाथ बढ़ा दिया था ।
भारतीय वायुसेना के
हेलीकाप्टर जहां नेपाल के भूकंप प्रभावित इलाकों से घायल और फंसे हुए लोगों को
निकालने का काम कर रहे हैं वहीं बसें और ट्रकों को राहत सामग्री तथा चिकित्सा दल
पहुंचाने के काम में लगाया गया है। चीन भी इस काम में पीछे नहीं रहना चाहता लिहाजा
राजधानी काठमांडू में लाल वर्दी पहले चीन के राहतकर्मियों का बड़ा दल मलबों में
फंसे लोगों को निकालने में जुटा है। चीन ने नेपाल के लिए आनन फानन में 33 लाख डालर
की सहायता की भी घोषणा की है।
नेपाल में कारोबार करने वाले कई चीनी नागरिक अपनी
दुकानों पर स्थानीय लोगों को खाने पीने की चीजें मुफ्त बांट रहे हैं। चीन ने अपने
विशेष चिकित्सा दस्ते भी नेपाल भेजे हैं। नेपाल के विदेश मंत्री नरेन्द्र बहादुर
पांडेय के इस बयान से चीन को काफी ठंडक मिली होगी कि संकट की इस घड़ी में भारत के
साथ चीन ने उनके देश की बहुत बड़ी मदद की है।