1962 युद्ध में पकड़े गए चीनी ने मोदी से लगाई वापस जाने की गुहार
भारत में 53 साल से रह रहे एक चीनी युद्धबंदी वांग ची ने पीएम मोदी से मदद के लिए गुहार लगाई है
नई दिल्ली। भारत में 53 साल से रह रहे एक चीनी युद्धबंदी वांग ची ने पीएम मोदी तथा विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से मदद के लिए गुहार लगाई है। उन्होंने कहा कि वो अपने देश जाकर अपने भाई-बहन तथा परिवार से मिलना चाहते हैं।
दरअसल चीन के निवासी वांग ची को भारत-चीन युद्ध के दौरान 1 जनवरी 1963 को उन्हें असम छावनी से भारतीय रेडक्रॉस ने पकड़ा था जिसके बाद उन्हें भारतीय सेना के हवाले कर दिया था। वो कई साल से भारत की जेल में रहे और फिर रिहाई के बाद मध्य प्रदेश के बालाघाट में रहने लगे। उन्हें लोग अब राज बहादुर नाम से जानते हैं। बालघाट में रहते हुए ही वांग ची की शादी मोहिते परिवार की लड़की से करा दी गई थी। इन दोनों के चार बच्चे भी हुए जिसमें से एक बेटे की मौत हो गई।
अब अपने देश चीन जाने की इच्छा जताई है। वो देश जाकर अपने भाई बहन से मिलना चाहते हैं। 77 साल के वांग ची ने इसके लिए विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से गुहार लगाई है। उन्होंने कहा कि मैंने दोनों के बारे में बहुत सुना है और मैं उनसे मदद की उम्मीद करता हूं।
एक अंग्रेजी अखबार हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक वांग ची ने बताया कि वह 2014 से भारत और चीन सरकार से अपने देश वापस जाकर भाई-बहनों से मिलने की इजाजत मांग रहे हैं लेकिन अभी तक कोई उन्हें कोई मदद नहीं मिली। वांग ची के तीन भाई और दो बहनें हैं, जो चीन में ही रहते हैं। बहुत प्रयासों के बाद वांग को वर्ष 2013 में चीनी पासपोर्ट जारी हुआ।
पासपोर्ट के आधार पर ही वांग ने वापस अपनी भारतीय पत्नी और बच्चों के पास लौटने की शर्त पर अपने वतन जाने की अनुमति मांगी थी। वांग ची के मुताबिक उनका जन्म चीन में वर्ष 1939 को हुआ था। वह 21 साल की उम्र में सेना में भर्ती हुए थे। साल 1962 को चीन-भारत युद्ध में शामिल हुए। इस युद्ध ने उनके जीवन को पूरी तरह बदल दिया और वहीं पर रह गए।
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