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Coal Scam: CBI कोर्ट ने JIPL के दो निदेशकों को ठहराया दोषी

कोयला ब्‍लॉक आवंटन घोटाला मामले में यह पहला केस है जिसमें सीबीआई की स्‍पेशल कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया है

Mar 28, 2016 / 04:34 pm

Abhishek Tiwari

Coal Block Allocation Issue

Coal Block Allocation Issue

नई दिल्ली। यूपीए सरकार के कार्यकाल के दौरान हुए कोयला ब्‍लॉक आवंटन घोटाला मामले में एक स्‍पेशल कोर्ट ने सोमवार को झारखंड इस्‍पात प्राइवेट लिमि‍टेड (जेआईपीएल) नाम की कंपनी और इसके दो डायरेक्‍टर्स आरएस रूंगटा और आरसी रूंगटा को दोषी ठहराया है। इनकी सजा पर फैसला 31 मार्च को आएगा।

जांच के लिए हुए थे विशेष कोर्ट के गठन

कोयला ब्‍लॉक आवंटन घोटाला मामले में यह पहला केस है जिसमें सीबीआई की स्‍पेशल कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया है। बता दें कि कोयला घोटाला से जुड़े सभी मुद्दों की जांच के लिए विशेष तौर पर इस कोर्ट का गठन किया गया था।

गैरकीनूनी तरीके से हासिल किया कोल ब्लॉक-कोर्ट
स्‍पेशल सीबीआई जज भारत पराशर ने रूंगटा ब्रदर्स और कंपनी को धोखाधड़ी और आपराधिक साजिश के तहत दोषी ठहराया है। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि इन्‍होंने गैरकानूनी तरीके से नॉर्थ ढाडू कोल ब्‍लॉक को हासिल किया। कोर्ट ने एक तरफ जहां इन्‍हें इस मामले में दोषी ठहराया वहीं फर्जीवाड़ा सहित कुछ अन्‍य आरोपों से बरी भी कर दिया।

सजा पर 31 मार्च को सुनवाई
कोर्ट के फैसले के बाद बेल पर चल रहे रूंगटा ब्रदर्स को हिरासत में ले लिया गया। कोर्ट इनकी सजा की अवधि पर फैसला 31 मार्च को सुनाएगा। इससे पहले मामले की सुनवाई के दौरान सीबीआई ने कोर्ट को बताया था कि आरोपियों ने गलत और फर्जी दस्‍तावेजों के आधार पर कोल ब्‍लॉक को हासिल किया था। पिछले साल 21 मार्च को मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने इन तीनों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 120बी (आपराधिक साजिश) और 471(फर्जी दस्‍तावेज का इस्‍तेमाल बतौर असली दस्‍तावेज करना) के अलावा अन्‍य कई मामलों के तहत आरोप तय किया था। तब इन्‍होंने अपने खिलाफ आरोपों को गलत बताया था।

2012 में सामने आया था मामला
गौरतलब हो कि कोयला आवंटन घोटाला 2012 में उस वक़्त सुर्खियों में आया था जब भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (कैग) ने एक रिपोर्ट में कहा था कि कोयला ब्लॉक के आवंटन में एक लाख 86 हज़ार करोड़ रुपए का घोटाला हुआ। इसके केंद्र में मुद्दा ये है कि कंपिनयों को कोयले की खान बिना कोई बोली लगाए दी गईं। विश्लेषकों का कहना था कि अगर इन कोयला खानों की नीलामी की गई होती तो सरकार को ये घाटा नहीं उठाना पड़ता।

एसार पावर, हिंडाल्को, टाटा स्टील, टाटा पावर, जिंदल स्टील एंड पावर सहित 25 कंपनियों को विभिन्न राज्यों में कोयले की खानें दी गई थीं। कैग की यह रिपोर्ट संसद में भी पेश की गई थी।

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