नई दिल्ली। यूपी में चुनाव नजदीक हैं और सभी पार्टियां कमर कस रही हैं। इसी धारा में सबसे बड़े राजनैतिक दल कांग्रेस ने इस बार 2017 विधानसभा चुनाव में दो घोषणापत्र जारी करने की योजना बनाई है। इनमें से एक पार्टी का मुख्य घोषणापत्र होगा जबकि दूसरा राज्य में बड़ा राजनीतिक महत्व रखने वाले दलित समुदाय के लिए होगा।
पार्टी सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस की नजर इस तरह से बीएसपी प्रमुख मायावती के दलित वोटबैंक में सेंध लगाने पर है। गौरतलब है कि पार्टी अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले दलित विशेष घोषणापत्र पर काम कर रही है। कांग्रेस का मानना है कि इस कदम से उसे दलित वोट बैंक को आकर्षित करने में मदद मिलेगी।
बता दें कि उत्तर प्रदेश में विधानसभा की 403 सीटों में से 84 आरक्षित हैं और पार्टी के पास राज्य की 28 विधानसभा सीटें हैं। मालूम हो कि उत्तर प्रदेश में दलित नेतृत्व को मजबूत करने के लिए कांग्रेस जमीनी स्तर से शुरुआत कर रही है। पार्टी डॉ. भीमराव अंबेडकर की 125वीं वर्षगांठ पर भीमज्योति यात्रा भी आयोजित कर रही है।
दलित घोषणापत्र में दलितों के लिए कांग्रेस की पॉलिसी से जुड़ी योजनाओं और राज्य और केंद्र के स्तर पर नेतृत्व में दलितों को ज्यादा भागीदारी देने से जुड़ी जानकारी शामिल होगी। दलितों से संपर्क बढ़ाने के लिए कांग्रेस का यह पहला बड़ा कार्यक्रम है। इससे पहले पार्टी दलितों से जुड़े मुद्दों पर प्रदर्शनों और दलितों के घरों में राहुल के दौरों तक ही सीमित रही है।
कांग्रेस ने इस यात्रा के दो चरण पूरे कर लिए हैं और इनमें उत्तर प्रदेश के 75 में से 34 जिलों को कवर किया जा चुका है। इस यात्रा से पार्टी को 84 आरक्षित सीटों के लिए नए दलित नेताओं को आजमाने का मौका मिला है और वह गांव के स्तर पर अपने राजनीतिक संदेश को भी पहुंचाने में कामयाब रही है।
राहुल गांधी ने इस प्रॉजेक्ट की जिम्मेदारी एससी डिपार्टमेंट के हेड के. राजू को दी गई है। इस कार्यक्रम को जमीनी धरातल पर उतारने के लिए दलित नेताओं को ट्रेनिंग दी जाएगी। मालूम हो कि लखनऊ में 18 फरवरी को होने वाला ट्रेनिंग प्रोग्राम इन नेताओं को चुनने की एक वर्ष तक चली प्रक्रिया की समाप्ति होगा।
इन नेताओं को विधानसभा चुनाव में 84 आरक्षित सीटों पर कांग्रेस उम्मीदवारों के तौर पर खड़ा किया जाएगा। प्रशिक्षण कार्यक्रम के अंत में राहुल लखनऊ में घोषणापत्र को पेश करेंगे, जो उत्तर प्रदेश में दलित घोषणापत्र के लिए ब्लूप्रिंट के तौर पर काम करेगा। लखनऊ के बाद उत्तर प्रदेश के 18 जोनों में 10 क्षेत्रीय सम्मेलन किए जाएंगे। इन सम्मेलनों में दलित घोषणापत्र के लिए सुझाव लिए जाएंगे।
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