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मुजफ्फरनगर दंगे के 10 आरोपियों को कोर्ट ने साक्ष्यों के अभाव में बरी किया

Published: Feb 06, 2016 04:58:00 pm

सितंबर वर्ष 2013 में मुजफ्फरनगर और शामली में हुए उपद्रवों में दंगों में 50 से अधिक लोगों की चली गई थी जान

Muzaffarnagar

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मुजफ्फरनगर। उत्तरप्रदेश के मुजफ्फरनगर में वर्ष 2013 में दंगे और डबल मर्डर के मामले में 10 आरोपियों को न्यायालय ने सबूतों के अभाव में आरोप मुक्त कर दिया। गौरतलब है कि वर्ष 2013 में हुए दंगों में दो लोगों की मौत हो गई थी। मरने वालों में से एक महिला थी।

सितंबर वर्ष 2013 में मुजफ्फरनगर और शामली में हुए उपद्रवों में दंगों में 50 से अधिक लोगों की जान चली गई थी। दंगों की आग में घिरे क्षेत्र से बड़े पैमाने पर लोगों के घर प्रभावित हुए थे। जानकारी के अनुसार न्यायालय द्वारा इन लोगों पर उपद्रव के दौरान लोगों की हत्या करने को लेकर सुनवाई की गई। लेकिन इनके खिलाफ कोई सबूत नहीं था।

क्या हुआ था?
गौरतलब है कि यह हिंसा कवाल गांव में हुई थी। हिंदू व मुस्लिम समुदाय के बीच हिंदू समुदाय की लड़की के साथ मुस्लिम युवक द्वारा की गई छेड़छाड़ से मामला प्रारंभ हो गया था। इसके बाद इस लड़की के परिवार के ममेरे भाईयों गौरव व सचिन ने छेड़खानी करने वाले युवकों को मार दिया। जिसके बाद मुस्लिम दंगाईयों ने इन भाईयों को मार दिया गया। लड़की ने परिवार के 11 लोगों को पकड़ लिया। 30 अगस्त को मुस्लिम जनसभा के दौरान बसपा, सपा और कांग्रेस के नेताओं ने कवाल गांव की घटना का बदला लिया। इसके बाद महापंचायत में भाजपा के स्थानीय नेताओं पर आरोप लगाया गया कि उन्होंने जाट समुदाय का बदला लेने को लेकर उकसाया।

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