नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने तमिलनाडु के लोक गायक और सामाजिक कार्यकर्ता शिवराज उर्फ कॉमरेड कोवन की पुलिस हिरासत संबंधी राज्य सरकार की याचिका आज खारिज कर दी। न्यायमूर्ति एफ एम आई कलीफुल्ला और न्यायमूर्ति उदय उमेश ललित की पीठ ने मद्रास उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ राज्य सरकार की अपील खारिज करते हुए कॉमरेड कोवन को तमिलनाडु पुलिस की हिरासत में भेजने का अनुरोध ठुकरा दिया।
शीर्ष अदालत ने कहा कि उसे कोवन को पुलिस हिरासत में लेने संबंधी राज्य सरकार की याचिका में कोई दम नजर नहीं आता है, इसलिए संबंधित याचिका खारिज की जाती है। राज्य सरकार ने उच्च न्यायालय के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें उसने कोवन को पुलिस हिरासत में भेजने से इन्कार कर दिया था। चौवन-वर्षीय लोकगायक एस. कोवन पर शराबबंदी न करने के लिए तमिलनाडु सरकार की आलोचना के आरोप में देशद्रोह का मुकदमा दर्ज किया गया है।
कोवन को तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता और उनकी सरकार पर गरीबों की कीमत पर सरकारी शराबखानों में दारू की बिक्री से फायदा उठाने का आरोप लगाने के लिए 30 अक्टूबर को तिरुचिपल्ली से गिरफ्तार किया गया था। गिरफ्तारी के बाद उन्हें इगमोर के मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट की अदालत में पेश किया गया, जिसने उन्हें दो दिन के लिए पुलिस हिरासत में भेज दिया था।
कॉमरेड कोवन ने इसे उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी, जिसने निचली अदालत के इस आदेश पर रोक लगा दी थी। कॉमरेड कोवन कला और साहित्य संगठन मक्कल कलई आईलाक्किया कझगम के सदस्य हैं। यह संगठन महिलाओं और दलितों जैसे हाशिये पर पहुंचे लोगों के अधिकार को लेकर लोकगीत और नुक्कड़ नाटकों का मंचन करता है। गायक पर मुख्यमंत्री के खिलाफ व्हाट््सएप और अन्य वेबसाइट््स पर आपत्तिजनक सामग्री अपलोड करने का भी आरोप है।