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करोड़ों की सुविधाओं के बावजूद ‘बीमार’ है सरकारी अस्पताल

Published: Jul 29, 2017 05:18:00 pm

Submitted by:

Prashant Jha

कैग रिपोर्ट के मुताबिक, राष्ट्रीय और ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के तहत 24 राज्यों में मरीजों के लिए न तो पर्याप्त दवाएं हैं और न ही पर्याप्त डॉक्टर हैं। यही नहीं जो दवाएं मिलती भी हैं, न तो उनकी गुणवत्ता परखी जाती है और न ही उनकी एक्सपायरी डेट ही जांची जाती है। 

goverment hospitals

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पांच राज्यों में स्वास्थ्य सेवाओं में भारी कमी
बिहार, झारखंड, सिक्किम, उत्तराखंड और पश्चिम बंगाल में तो हालत और भी खराब है। यहां पर स्वास्थ्य सेवाओं में 50 फीसदी से ज्यादा की गिरावट है।


24 राज्यों में न तो पर्याप्त दवाएं और न ही डॉक्टर
कैग रिपोर्ट के मुताबिक, राष्ट्रीय और ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के तहत 24 राज्यों में मरीजों के लिए न तो पर्याप्त दवाएं हैं और न ही पर्याप्त डॉक्टर हैं। यही नहीं जो दवाएं मिलती भी हैं, न तो उनकी गुणवत्ता परखी जाती है और न ही उनकी एक्सपायरी डेट ही जांची जाती है। साथ ही ऐसी योजनाओं के लिए पर्याप्त धन ही मुहैया कराया जाता है। कैग ने इसके लिए सरकार की आलोचना भी की है।

विटामिन ए और ओआरएस जैसे घोल के पैकेट भी नहीं
असम, बिहार, छत्तीसगढ़, गुजरात, हरियाणा, मध्य प्रदेश, कर्नाटक व तेलंगाना समेत 20 से ज्यादा राज्यों में विटामिन ए और ओआरएस जैसे घोल के पैकेट भी उपलब्ध नहीं हैं। वहीं 24 राज्यों में तो पैरासिटामॉल, विटामिन बी कॉम्लेक्स और अलबेंडाजोल जैसी दवाएं भी उपलब्ध नहीं हैं, जबकि ये बुखार, जुकाम और पेट दर्द जैसी आम बीमारियों में काम आती हैं।

नहीं खर्च किए गए 9509 करोड़ रुपए
कैग के मुताबिक, 2015-16 में 27 राज्यों को मिले पैसों में से 9509 करोड़ रुपए ही खर्च हुए थे। सबसे खराब प्रदर्शन मेघालय, अंडमान-निकोबार, उत्तर प्रदेश, तेलंगाना और कर्नाटक का रहा था।

30.39 करोड़ के उपकरण तो इस्तेमाल ही नहीं हुए

रिपोर्ट के मुताबिक, सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों और सेवाओं में तकरीबन 30.39 करोड़ के 428 मशीनों व उपकरणों का तो इस्तेमाल ही नहीं हुआ। वहीं, 13 राज्यों के 67 प्राइमरी स्वास्थ्य केंद्रों में एक भी डॉक्टर नहीं है।


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