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सरकार का नोटबंदी का फैसला एक निरंकुश कदम : Amartya Sen

Published: Dec 01, 2016 12:14:00 am

उन्होंने कहा कि बड़े नोटों पर प्रतिबंध लगाना अर्थव्यवस्था के लिए बाधाकारी साबित होगा

Amartya Sen

Amartya Sen

नई दिल्ली। नोबेल पुरस्कार से सम्मानित जाने-माने अर्थशास्त्री प्रोफेसर अमत्र्य सेन ने विमुद्रीकरण को एक निरंकुश कदम बताते हुए बुधवार को कहा कि इससे लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है और काले धन के मोर्चे पर कोई खास सफलता नहीं मिली। प्रो. सेन ने कहा कि प्रधानमंत्री का नोटबंदी का फैसला ‘न समझदारी भरा कदम है न मानवीय।’

उन्होंने कहा, ‘हम सभी चाहेंगे कि काले धन पर लगाम लगाने के लिए सरकार कुछ करे लेकिन हमें यह देखना होगा कि ऐसा करने के लिए क्या यह तरीका सही है।’

एक समाचार चैनल एनडीटीवी को दिए एक साक्षात्कार में उन्होंने कहा कि बड़े नोटों पर प्रतिबंध लगाना अर्थव्यवस्था के लिए बाधाकारी साबित होगा और उन लोगों के लिए परेशानी का सबब है जिनके पास केवल सफेद धन है। अनुभवी लोग हमेशा इससे बचने का तरीका निकाल लेंगे। उन्होंने कहा कि भारत में कोई भी काले धन पर लगाम लगाने के कदम का विरोध नहीं करेगा, लेकिन इसे ऐसे तरीके से किया जाना चाहिए कि आम जनता को मुश्किलें न हो और सरकार पर जनता का जो भरोसा है वह टूटे नहीं।

प्रो. सेन ने कहा, आज नोटों पर प्रतिबंध लगाया गया है, लेकिन कल यह बैंक खातों पर भी हो सकता है। उन्होंने कहा कि 500 और 1000 रुपए के नोटों पर प्रतिबंध लगाकर सरकार भरोसा तोडऩे की दोषी है और हालांकि वह पूंजीवाद के प्रशंसक नहीं हैं, लेकिन भरोसा इस व्यवस्था के लिए अहम है। उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था को राजनीति से दूर रखा जाए नहीं तो
यह देश के लिए विनाशकारी साबित होगा।

जौहरियों का दावा, 85-90 फीसदी घटा कारोबार
धीरसंस ज्वैलर्स के सत्यप्रकाश पांडे ने जब करोलबाग मार्केट में स्थित अपनी दुकान में किसी को आते देखा तो उनके मन में ग्राहक आने की उम्मीद जगी, जो पिछले कुछ हफ्तों से दुर्लभ हो गए हैं। कई जौहरियों का अनुमान है कि नोटबंदी के बाद से उनकी बिक्री में 85 से 90 फीसदी की कमी आई है। हालांकि निर्यात कारोबार पर असर नहीं पड़ा है।

पांडे ने बताया, मैंने ग्राहकों का इतना अकाल कभी नहीं देखा था। यहां तक कि ऑफ सीजन में भी इतने कम ग्राहक कभी नहीं थे। मेरा व्यापार 90 फीसदी घट गया है। ऑल इंडिया जेम्स एंड ज्वैलरी ट्रेड फेडरेशन (जीजेएफ) ने 85 प्रतिशत नुकसान की बात कही है। फेडरेशन ने कहा कि नोटबंदी से पहले ज्वैलरी का सालाना कारोबार 4,80,000 करोड़ रुपये का था। नोटबंदी के साथ केवल 20 दिनों में 30,000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।

जीजेएफ के अध्यक्ष जी. वी. श्रीधर ने आईएएनएस को बताया, हम नोटबंदी के कदम का स्वागत करते हैं, क्योंकि इससे देश में भ्रष्टाचार मिटेगा। लेकिन व्यापार प्रभावित हो रहा है। शादियों का सीजन होने के बावजूद ग्राहकों में 85 फीसदी की कमी आई है। देश में कुल 4.50 लाख ज्वैलर्स हैं और इस उद्योग से करीब छह करोड़ लोग प्रत्यक्ष तौर पर जुड़े हैं।

जेम्स एंड ज्वैलरी एक्सपोर्ट प्रमोशन कौंसिल के पवन शंकर पांड्या ने बताया, निर्यात पर मामूली असर पड़ा है, क्योंकि हमें भुगतान विदेशों से प्राप्त होता है। इसके कारण छोटे और मझोले स्तर के उद्योगों के प्रभावित होने की आशंका है। हालांकि कैशलेस भुगतान करने पर यह समस्या भी नहीं होगी।
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