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बॉम्बे हाईकोर्ट जाएंगे साइरस, टाटा ने किया साल्वे व सिंघवी को हायर

टाटा ग्रुप के चेयरमैन पद से हटाए जाने के बाद सायरस मिस्‍त्री इस फैसले के खिलाफ कोर्ट जाएंगे। 

Oct 24, 2016 / 11:26 pm

शिव शंकर

Cyrus Mistry

Cyrus Mistry

मुंबई। टाटा ग्रुप के चेयरमैन पद से हटाए जाने के बाद सायरस मिस्‍त्री इस फैसले के खिलाफ कोर्ट जाएंगे। खबरों के अनुसार, मिस्‍त्री बॉम्‍बे हाई कोर्ट में टाटा सन्‍स लिमिटेड के इस फैसले को चुनौती देंगे। उधर, टाटा ग्रुप ने भी इस मामले के कोर्ट में जाने को लेकर अपनी तैयारियां शुरू कर दी हैं। ग्रुप ने कई सीनियर वकीलों से बातचीत की है। हालांकि, टाटा ग्रुप के सबसे बड़े हिस्सेदार शापूरजी और पालोनजी ने साइरस मिस्त्री को चेयरमैन पद से हटाए जाने को अवैध बताया था और इस कानूनी चुनौती देने की बात कही थी।

आपको बता दें कि बिजनेस के क्षेत्र में एक बड़े घटनाक्रम में सोमवार को साइरस मिस्त्री को टाटा ग्रुप के चेयरमैन पद से हटा दिया गया है। तत्कालिक रूप से उनकी जगह पर रतन टाटा को चार महीने के लिए अंतरिम चेयरमैन नियुक्त किया गया है। नये चेयरमैन की तलाश के लिए टाटा ग्रुप ने एक पांच सदस्यीय कमेटी का गठन किया है। कमेटी को इसके लिए चार महीने का समय दिया गया है। 

टाटा ग्रुप ने मिस्त्री को हटाए जाने को वैध ठहराने और संभावित कानूनी पचड़ों के मद्देनजर सीनियर ऐडवोकेट्स हरीश एन. साल्वे और अभिषेक मनु सिंघवी को हायर किया है। सूत्रों ने बताया कि ग्रुप ने साल्वे और सिंघवी से इस मामले पर विचार-विमर्श किया है। 

मामले की जानकारी रखने वालों ने बताया कि मिस्त्री को पद से हटाने से पहले ही टाटा ग्रुप ने कानूनी जगत के टॉप लोगों से सलाह-मशविरा किया। ग्रुप ने सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज आर. वी. रवींद्रन के अलावा सीनियर ऐडवोकेट्स पी. चिदंबरम और मोहन परासरन से सलाह ली। सूत्रों ने कहा कि ऐसे जटिल मसलों में किसी कानूनी पचड़े से बचने के लिए बड़ी कंपनियां लीगल अडवाइस लेती हैं।

हालांकि सायरस मिस्‍त्री को चेयरमैन पद से हटाए जाने को लेकर अभी तक कोई स्पष्ट कारण सामने नहीं आए हैं। हालांकि, रिपोर्ट्स की माने तो उनकी परफॉर्मेंस की वजह से उन्‍हें हटाया गया। रिपोर्टों के मुताबिक, पिछले छह महीने से रतन टाटा और सायरस मिस्‍त्री के बीच काफी मतभेद चल रहा था। साथ ही घाटे में चल रही कंपनियों को छांटने और केवल फायदा देने वाले उपक्रमों पर ही ध्यान देने के उनके दृष्टिकोण की वजह से कंपनी में नाराजगी थी। इनमें यूरोप में घाटे में चल रहे इस्पात कारोबार की बिक्री का मामला भी शामिल है।

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