रतन टाटा ने समूह की कंपनियों के शेयरधारकों को लिखे पत्र में कहा, टाटा संस के बोर्ड द्वारा सोच-समझ कर की गई यह कार्रवाई मिस्त्री के साथ लगातार संबंध बिगडऩे का नतीजा था
मुंबई। टाटा संस के अंतरिम अध्यक्ष रतन टाटा ने बुधवार को खुलासा किया कि साइरस मिस्त्री को स्वेच्छा से अध्यक्ष का पद छोडऩे का मौका दिया गया था, लेकिन उन्होंने इससे इनकार कर दिया, जिसके बाद उन्हें आधिकारिक रूप से हटाया गया। रतन टाटा ने समूह की कंपनियों के शेयरधारकों को लिखे पत्र में कहा, मिस्त्री को चार साल के कार्यकाल के बाद टाटा संस के अध्यक्ष पद से 24 अक्टूबर को हटा दिया गया, क्योंकि टाटा संस के बोर्ड ने उनमें और भविष्य में टाटा समूह का नेतृत्व करने की उनकी क्षमता पर भरोसा खो दिया था।
उन्होंने लिखा, जैसा कि आप उम्मीद करेंगे, टाटा संस के बोर्ड द्वारा सोच-समझ कर की गई यह कार्रवाई मिस्त्री के साथ लगातार संबंध बिगडऩे का नतीजा था, और इसे ठीक करने के प्रयासों का कोई नतीजा नहीं निकला। इसके बाद अंतिम कदम के रूप में, उन्हें अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने का अवसर दिया गया, जिसे उन्होंने अस्वीकार कर दिया, और कहा कि इसका फैसला बोर्ड को लेना चाहिए। इसके बाद बोर्ड ने अपना फैसला लिया और औपचारिक रूप से उन्हें हटा दिया।
टाटा का शेयरधारकों को लिखा यह पत्र, टाटा समूह द्वारा उसकी कई कंपनियों के बोर्डों से मिस्त्री को हटाने के लिए बुलाई गई असाधारण आमसभा (ईजीएम) से पहले सामने आया है। टाटा ने कहा, चूंकि मिस्त्री को टाटा संस के अध्यक्ष होने के नाते टाटा समूह की विभिन्न कंपनियों का निदेशक बनाया गया था, इसलिए सही कदम यही होगा कि वह इन कंपनियों के
निदेशक के पद से खुद इस्तीफा दे दें। लेकिन दुर्भाग्य से, उन्होंने अभी तक ऐसा नहीं किया है, और एक निदेशक के रूप में वह लगातार इन कंपनियों के बोर्ड में उपस्थित हो रहे हैं। इससे कंपनी को नुकसान पहुंच सकता है। क्योंकि उन्होंने प्राथमिक प्रमोटर टाटा संस के प्रति विशेष रूप से अपनी खुली दुश्मनी दिखाई है।
रतन टाटा ने कहा कि औद्योगिक समूह की होल्डिंग कंपनी – टाटा संस – लगातार नए व्यापार के अवसरों का मूल्यांकन करता है और नए उद्यमों में निवेश करता रहता है। इस पत्र में कहा गया है, इन निवेश में कुछ बेहद सफल हैं (जैसे टीसीएस, जगुआर लैंड रोवर), जबकि कुछ दूसरे (टाटा स्टील यूरोप की तरह) निवेश को लाभदायक बनने में समय लग सकता है।