नई दिल्ली। एक महिला चाहे वो विवाहित हो या अविवाहित अगर किसी मकान में आधिकारिक रूप से रहती है तो वो भी मकान की मालकिन कहलाएगी। इस महिला के पास उस मकान में रहने वाले किराएदार को निकालने के मालिकाना हक भी होंगे। ये फैसला सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले में सुनाया। जस्टिस जे चमलेशवर और जस्टिस ए.एम सप्रे की बेंच में आदेश सुनाया कि एक महिला का भी मकान या इमारत में कानूनी अधिकार होता है।
बेटी विवाहित हो या अविवाहित उसे मिलेगा मालिकाना हक: सुप्रीम कोर्ट
इस बेंच ने कहा कि घर की बेटी चाहे विवाहित हो या अविवाहित अगर वो जरूरतमंद है तो वो घर में अपने लिए जगह की हकदार है। साथ ही ऐसी महिला अपनी जरूरत के लिए घर के किराएदार को बेदखल करने का अधिकार भी रखती है। सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने बताया कि अपील करने वाला गुलशेरा खानम के पति की मौत के बाद उनकी बेटी डॉ. नाहिद परवीन ही उनकी उत्तराधिकारी हैं।
महिला भी घर से बेदखल कर सकती है किराएदार को
याचिका दर्ज करने वाली महिला की बेटी अपने पिता के घर में अपना क्लीनिक खोलना चाहती है। इसके लिए याचिकाकर्ता गुलशेरा खानम अपने किराएदार को बेदखल करना चाहती है। किराएदार के इनकार करने के बाद ये मामला सुप्रीम कोर्ट में दर्ज किया गया। सुप्रीम कोर्ट ने महिला और उसकी बेटी के पक्ष में अपना फैसला सुनाया। इससे पहले भी उच्चतम न्यायलाय ने कई बड़े फैसले बेटियों और महिलाओं के पक्ष में सुनाए हैं।
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