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कारगिल युद्ध के लिखित इतिहास में नहीं होंगी सभी जानकारियां!

Published: Jul 26, 2016 09:41:00 am

कारगिल युद्ध की 17वीं वर्षगांठ पर रक्षा मंत्रालय ने युद्ध का इतिहास सरकारी दस्तावेजों में उतारने का काम शुरु कर दिया है

ARMY DAY

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नई दिल्ली। कारगिल युद्ध की 17वीं वर्षगांठ पर रक्षा मंत्रालय ने कारगिल का इतिहास सरकारी दस्तावेजों में उतारने का काम शुरु कर दिया है। इस प्रोजेक्ट को अगले 2 वर्ष में पूरा कर लिया जाएगा। रक्षा मंत्रालय इस प्रोजेक्ट पर वर्ष 2015 से काम कर रहा है। उल्लेखनीय है कि 17 साल बीत जाने के बाद भी कारगिल युद्ध का आज तक कोई लिखित इतिहास नहीं है।

देश के जाने-माने इतिहासकार श्रीनाथ राघवन के नेतृत्व में इस काम को किया जा रहा है। हालांकि इस बारे में एक अड़चन आ रही है। सेना ने युद्ध से जुड़ी ऑपरेशनल जानकारी साझा करने से मना कर दिया है। हालांकि सैन्य अभियानों के महानिदेशक (डीजीएमओ) और उत्तरी कमान की ओर से तैयार की गई एक्शन रिपोर्ट को सेना मुख्यालय ने मंत्रालय के रक्षा विभाग को सौंप दिया है। परन्तु इस रिपोर्ट में कारगिल युद्ध में हिस्सा लेने वाली डिविजनों और ब्रिग्रेडों की युद्ध डायरी देने से मना कर दिया है। जिसके अभाव में पूरी जानकारी लिपिबद्ध नहीं की जा सकेगी।


सेना के अलावा डीजीएमओ ने भी अपनी युद्ध डायरी देने से मना कर दिया है। बताया जाता है कि इन दस्तावेजों के सार्वजनिक होने से देश की सुरक्षा व्यवस्था पर असर पड़ सकता है। सैन्य सूत्रों के अनुसार इन दस्तावेजों में लिखी गई बातें अभी चल रहे अभियानों के हिसाब से महत्वपूर्ण हैं और इनको साझा नहीं किया जा सकता है। सेना के अनुसार देश के कई सीमावर्ती इलाकों में 1999 के युद्ध के बाद ही सेना की तैनाती की गई है। हालांकि नेवी और एयरफोर्स ने इस युद्ध में सभी दस्तावेजों को रक्षा मंत्रालय को सौंप दिया है।

कारगिल के दौरान PAK पर भारत करने वाला था हवाई हमला
शायद आप नहीं जानते होंगे कि कारगिल युद्ध के दौरान भारतीय पाकिस्तान के बेस पर फाइटर जेट से हमला करने की तैयारी में थी। इसके लिए 13 जून 1999 को भारतीय वायुसेना के फाइटर जेट हमला करने के लिए पाकिस्तान के बेस से बस कुछ ही मिनट की दूरी पर थे। एलओसी पार करके कहां हमला करना है, उसका टारगेट तक तय हो गया था। एयरफोर्स द्वारा दिए गए डॉक्यूमेंट्स में इसका खुलासा हुआ है।



एक टीवी चैनल की खबर के अनुसार अटैक का पूरा प्लान तैयार था, जिसे आखिरी पलों में रद्द किया गया था। इस हमले के लिए पायलट्स भी तैयार किए जा चुके थे। उनके लिए पाकिस्तान की सीमा में फंसे होने की हालत में बाहर निकलने का ऑल्टरनेट प्लान भी तैयार था।


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